पुलिस मेरे शहर की

पुलिस मेरे शहर की

पुलिस मेरे शहर की

अपनी पर  आ  जाए तो
मुर्दों से भी उगलवाती है
जटिल से जटिल मामला
यूं मिनटों में  निपटाती है
पुलिस मेरे शहर की||

सुस्ती और लापरवाही में
कितने  मामले  दबाती है
चाय – पानी  के  बगैर  ये
महीनों  भर  लटकाती  है
पुलिस मेरे शहर की||

मामला   कुछ   और  होए
उसे और कुछ ही बनाती है
सीधे -साधे मामलों को भी
बे वजह ले  दे उलझाती है
पुलिस मेरे शहर की|\

पैसे  वाले  के  समक्ष  तो
ये नतमस्तक हो जाती  है
गरीब,वंचित,असहाय को
पीटती  और धमकाती है
पुलिस मेरे शहर की||

नशा माफिया और जुआरी
पकड़  कर  नहीं  लाती  है
आ जाए हाथ शरीफ कोई
क्या – क्या धारा लगाती है
पुलिस मेरे शहर की||

विनोद सिल्‍ला

771/14, गीता कॉलोनी, नज. धर्मशाला
डांगरा रोड़, टोहाना
जिला फतेहाबाद  (हरियाणा)
पिन कोड 125120

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कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

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