रामधारी सिंह दिनकर / श्याम कुँवर भारती

पूर्णिका _ दिनकर जैसा ।

हिंदी है हिंद का हृदय कोई आज ये सोचता है क्या।
हिंदी बांधती है राष्ट्र को एक सूत्र कोई मानता है क्या।

कलम में खूब जान डाल दे रचना में सभी रंग भर दे।
रामधारी सिंह दिनकर जैसा कोई लिखता है क्या।

जो लिख दिया पहचान बन गई देश की शान बन गई।
पहले जो छपा दिनकर जैसा अब कहीं छपता है क्या।

हर एक शब्द मोती पंक्ति पंक्ति सोना हर भाव हीरा जैसा।
दूर तक चमक हो आज कोई कलमकार चमकता है क्या।

रचना में चमक हो भाव की धमक हो ऐसा है कहां।
दिनकर से लेके सबक रचना कोई आज रचता है क्या।

श्याम कुंवर भारती
बोकारो,झारखंड

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