शादी से पहले

शादी से पहले

marriage

मैं जीना चाहता था
एकांत जीवन प्रकृति के सानिध्य में।
पर न जाने कब उलझा
सेवा सत्कार आतिथ्य में ।
अनचाहे  विरासत में मिली
दुनियादारी की बागडोर ।
धीरे-धीरे जकड़ रही है
मुझे बिना किए शोर।
कभी तौला नहीं था
अपना वजूद समाज के पलड़ों में ।
अब जरूरी जान पड़ता
कि पड़ूँ दुनियादारी के लफड़ों में ।
सुख चैन मिलता सहज
शादी से पहले ।
पर अब जद्दोजहद करनी होगी
चाहे  कोई कुछ भी कह ले।।

 मनीभाई ‘नवरत्न’,छत्तीसगढ़,

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।