शाकाहारी जीवन/ विनोद कुमार चौहान जोगी

छन्न-पकैया छन्न-पकैया

छन्न-पकैया छन्न-पकैया, सुन लो बात हमारी।
अच्छी सेहत चाहो जो तुम, बनना शाकाहारी।।

छन्न-पकैया छन्न-पकैया, जो हो शाकाहारी।
रक्तचाप में संयम रहता, होती नहीं बिमारी।।

छन्न-पकैया छन्न-पकैया, सादा भोजन करना।
लंबा जीवन मिलता जोगी, पड़े न पीड़ा सहना।।

छन्न-पकैया छन्न-पकैया, बनो न माँसाहारी।
मोटापा बढ़ता है उससे, बढ़ती है लाचारी।।

छन्न-पकैया छन्न-पकैया, मुख मण्डल है निखरे।
माँसाहार करें जब हम तो, लाखों जीवन बिखरे।।

छन्न-पकैया छन्न-पकैया, हृदय खिन्नता घटती।
शाकाहारी लोगों की तो, सुनो उम्र भी बढ़ती।।

छन्न-पकैया छन्न-पकैया, विनती करता जोगी।
सादा जीवन की चाहत में, पाओ गात निरोगी।।

विनोद कुमार चौहान “जोगी”

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।