संतोषी है मधुशाला

संतोषी है मधुशाला


संतोषी अँगूर लता है,
संतोषी साकी बाला।
संतोषी  पीने  वाला है
संतोषी है मधुशाला।
बस्ती -बस्ती चौराहे पर,
अपनी दुकान खोलने वाले।


विज्ञापन  के राम  भरोसे,
अपनी दुकान चलाने वाले।
जंगल उपवन बाग बगीचे,
संतोष  दिखाई  देता है।
डगर अकेली सन्नाटे मे,
भीड़ जुटाती मधुशाला।

संतोष  समाई  हाला मे,
राजा  है  पीने  वाला।
बस्ती बस्ती डगर डगर का
शुभचिन्तक है मतवाला।
दुनिया वाले रोज झगड़ते,
संसद , ठौर,  ठिकाने  मे।
प्यास सदा सबकी हर लेती,
सुलह कराती  मधुशाला।।
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उमाशंकर शुक्ल’दर्पण

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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