सूनी इक डाली हूँ-नील सुनील

सूनी इक डाली हूँ

सूनी इक डाली हूँ। 
सोचें सब माली हूँ।। 

तू खेले लाखों में। 
मैं पैसा जाली हूँ।। 

घर बच्चे भूखे हैं। 
मैं खाली थाली हूँ।। 

तू मन्नत रब की है। 
मैं बस इक गाली हूँ।। 

अदना सा हूँ शायर। 
समझें वो हाली हूँ।। 

मर जाऊं क्या आखिर। 
बरसों से  खाली हूँ।।

✍नील सुनील 
हरियाणा

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कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

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