सुखद जीवन का सर्वोत्तम आहार/ चन्द्रकांत खुंटे ‘क्रांति’

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सुखद जीवन का सर्वोत्तम आहार/ चन्द्रकांत खुंटे ‘क्रांति’

मनुज जन्म हुआ अहिंसक
पशु सरिस घूम रहे हिंसक
भर-भर करते माँस भक्षण
इसके मिलते अनेक लक्षण
एक लक्षण नयन का है
जन्म लेते पलक शयन का है।
नरेतर का खुलते अष्ट दिवस में
अशक्त को करते जो वश में।
अम्बु को पीते मुँह लगाकर
हिंसक पीते जीभ लप-लपाकर।
अहिंस्र रखते लघु करकंटक
मूढ़ प्रहार दीर्घ नोच हंटक।
एक का दशन श्वेत सपाट
दूजे का अत्यंत नुकीले लाट।
यह सारे गुण मनुजों में आ गए
माँस भक्षण दैत्यों का पा गए।
समतल दंत,क्षुद्र नाखून तज
अति नुकीले-विशाल को भज।
जिह्वा को दैत्य सरिस लपलपा रहे
असहायों को भीषण तपा रहे।
जो कर रहे लघु जीवों पर प्रहार
शोषण-हत्या निरंतर बारम्बार।
शाकाहारी और शाकाहार
सुखद जीवन का सर्वोत्तम आहार।।

चन्द्रकांत खुंटे ‘क्रांति