जलती धरती/ रितु झा वत्स
जलती धरती/ रितु झा वत्स विशुद्ध वातावारण हर ओरमची त्रास जलती धरती धूमिल आकाश पेड़ पौधे की क्षति होरही दिन रात धरती की तपिश कर रही पुकार ना जानेकब बरसेगी शीतल बयार प्लास्टिक की उपयोग हो रही लगातार दूषित हो रही हर कोना बदहाल जलती धरती सह रही प्रहारसूख रही कुंवा पोखर तालाब बूंद भर पानी … Read more