योग से दिन है सुहाना / कवि डिजेंद्र कुर्रे “कोहिनूर”

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डिजेंद्र कुर्रे “कोहिनूर” की यह कविता सरल, प्रवाहमयी और प्रेरणादायक भाषा में रची गई है। कविता का उद्देश्य पाठकों को योग के लाभों से अवगत कराना और उन्हें इसे अपने जीवन में शामिल करने के लिए प्रेरित करना है। योग से दिन है सुहाना / कवि डिजेंद्र कुर्रे “कोहिनूर” योग से दिन है सुहाना,  योग को … Read more

योग भगाये रोग / कंचन कृतिका

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कंचन कृतिका की कविता “योग भगाये रोग” योग के शारीरिक और मानसिक लाभों को उजागर करती है। इस कविता में योग के महत्व और उसके द्वारा रोगों के निवारण का वर्णन किया गया है। कवि ने योग को एक चमत्कारी उपाय के रूप में प्रस्तुत किया है, जो न केवल शारीरिक बीमारियों से छुटकारा दिलाता … Read more

सरकारी योग दिवस / विनोद सिल्‍ला

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विनोद सिल्ला की कविता “सरकारी योग दिवस” में योग दिवस के औपचारिक और सरकारी रूप को चित्रित किया गया है। कविता के माध्यम से कवि ने योग दिवस के आयोजन की प्रक्रिया, उसकी तैयारियों और इसके सामाजिक-राजनीतिक महत्व को व्यंग्यात्मक और भावनात्मक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है। विनोद सिल्ला की काव्य शैली सरल, प्रवाहमयी और … Read more

बड़ी दौलत सेहत पर कविता

सेहत सबसे बड़ी दौलत है ज़िंदगी को जियो, बड़े इत्मीनान से,कटेगी ज़िंदगी, बड़े शान से!हर पल,हर घड़ी, बिना किसी तनाव से,खुशी में, करो काम, बड़े चाव से!अकेलापन महसूस होता है जब,करना चाहिए कोई काम तब,व्यस्तता रहेगी तो, समय का क्या?पता नहीं चलेगा, वक्त गुजरा कब!धन दौलत का नशा, कभी उतरता नहीं,आदमी को चाहिए, जब तक … Read more

7 अप्रैल विश्व स्वास्थ्य दिवस पर कविता

7 अप्रैल विश्व स्वास्थ्य दिवस पर कविता पहला सुख निरोगी काया।हमारे पूर्वजो ने भी बताया। अच्छी लागे ना मोह माया,अगर निरोगी ना हो काया। निरोगी जीवन का आधार।सबसे पहले हमारा आहार। रसना को जिसमें रस आये ,तन को वो रास न भी आये। नमक, चीनी और मैदा ।यह तो है रोगों से सौदा। तला भूना … Read more