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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम” के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

प्यार से दुश्मनी को मिटा दंगे हम-अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस कविता के माध्यम से कवि दुनिया से दुश्मनी को ख़त्म करना चाहता है और मुहब्बत से रहने को प्रेरित कर रहा है |
प्यार से दुश्मनी को मिटा दंगे हम– कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

भारत है आने वाले कल का आगाज़ – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस रचना में हमारे महान देश भारत की सांस्कृतिक विशेषताओं की समाहित किया गया है |
भारत है आने वाले कल का आगाज़ - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

जंगल की आग – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस रचना के माध्यम से कवि जंगल में आग से होने वाली जन हानि , पर्यावरण एवं पशु हानि की ओर संकेत दे रहा है |
जंगल की आग - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

लब पे आये मेरे खुदा नाम तेरा – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस रचना में खुदा की इबादत की गयी है |
लब पे आये मेरे खुदा नाम तेरा - वंदना - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

चन्द्र स्तुति- अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस रचना में चंद्रदेव भगवान् की स्तुति की गयी है |
सोम स्तुति ( चन्द्र स्तुति ) - वंदना - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

आज जिंदगी बेमानी हो गई है – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस कविता में वर्तमान सामाजिक परिदृश्य को समाहित किया गया है |
आज जिंदगी बेमानी हो गई है - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

हर एक दिन को नए वर्ष की – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस कविता में जीवन के हर एक क्षण को नव वर्ष की तरह उत्सव के रूप में मनाने पर जोर दिया गया है |
हर एक दिन को नए वर्ष की - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

धरती माँ तुम पावन थीं – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस कविता में धरती की पावनता को बनाए रखने के लिए प्रेरित करने का एक प्रयास किया गया है |
धरती माँ तुम पावन थीं - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"