फिर किसी मोड़ पर वो मिल जाएँ कहीं – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
इस ग़ज़ल में किसी से मिलने की आरज़ू को बयाँ किया गया है |
फिर किसी मोड़ पर वो मिल जाएँ कहीं – ग़ज़ल – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम” के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
इस ग़ज़ल में किसी से मिलने की आरज़ू को बयाँ किया गया है |
फिर किसी मोड़ पर वो मिल जाएँ कहीं – ग़ज़ल – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
इस कविता में जिन्दगी के खुशनुमा पहलुओं को महसूस करने का प्रयास किया गया है |
खिले जो फूल बहारों के , चमन हुआ रोशन – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “
इस रचना के माध्यम से कवि ने संगीत के विभिन्न आयामों को जीवन से जोड़ने का प्रयास किया है.
ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता ‘अंजुम’
इस रचना में दो मुक्तक शामिल किये गए हैं जो सत्य और असत्य के बीच के अंतर को समझाते हैं | मुक्तक – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “
इस रचना में कवि ने जीवन के विभिन्न आयामों की चर्चा की है |इस रचना का विषय है “अपना जीवन पराया जीवन” – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “