Tag: #अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर०अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम” के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • फिर किसी मोड़ पर वो मिल जाएँ कहीं – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

    फिर किसी मोड़ पर वो मिल जाएँ कहीं

    kavita

    फिर किसी मोड़ पर वो मिल जाएँ कहीं

    कोई तो ऎसी सुबह हो खुदाया मेरे

    जख्म दिल के नासूर न हो जाएँ कहीं

    उसके दीदार की कोई तो सुबह हो खुदाया मेरे

    रातों की नींद , दिल का चैन अब नहीं मेरे

    उसका पहलू नसीब हो मुझको खुदाया मेरे

    उसकी कमसिन अदाओं का हुआ मुझ पर जादू

    उसकी बाहों का मुझे सहारा मिले खुदाया मेरे

    उसकी आँखों में डूबने का मन करता है मेरा

    कुछ तो मेरी खबर कर खुदाया मेरे

    कहीं किसी मोड़ पर जो वो मिल जाए मुझे

    कुछ ऐसा तो करम कर खुदाया मेरे

    मैं उसके दीदार की आस लिये ज़िंदा हूँ

    क़यामत हो उसका दीदार हो जाए खुदाया मेरे

    फिर किसी मोड़ पर वो मिल जाएँ कहीं

    कोई तो ऎसी सुबह हो खुदाया मेरे

    – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

  • खिले जो फूल बहारों के चमन हुआ रोशन – अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

    खिले जो फूल बहारों के चमन हुआ रोशन – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    खिले जो फूल बहारों के , चमन हुआ रोशन

    खिले जो चेहरे नजारों के , दिल हुआ रोशन

    पाकीजगी उनकी भा गयी हमको , खिला हुस्न का चमन

    एक निगाह रोशन कर गयी रातें मेरी , हर एक पल जन्नत सा हुआ रोशन

    तोहफा मुहब्बत का अता कर मुझको ऐ मेरे खुदा

    तेरी एक निगाह से , मेरी जिन्दगी हुई रोशन

    काबिल समझ कर मुझको , अपनी पनाह में ले मुझे मेरे खुदा

    तेरी रहमत जो हो जाए , जन्नत सा रोशन हो मेरा चमन

  • ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत – अनिल कुमार गुप्ता ‘अंजुम’

    ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत – अनिल कुमार गुप्ता ‘अंजुम’

    महादेव


    ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत
    ख़ुदा की इबादत सिखाता है संगीत ।

    दिल के कोने में जब गुनगुनाता है संगीत
    स्वयं का खुदा से परिचय कराता है संगीत।

    कहीं माँ की लोरियों में गुनगुनाता है संगीत
    कहीं कृष्ण की बांसुरी में भाता है संगीत ।

    गायों की गले की घंटी से जन्म लेता संगीत
    कहीं बैलगाड़ी की घंटियों से उपजता संगीत।

    कहीं प्रेयसी को प्रेमी से मिलाता संगीत
    कहीं नवजात को मुस्कुराना सिखाता है संगीत ।

    संगीत का स्वयं से स्वयं का परिचय नहीं
    लोगों के सोये भाग्य जगाता है संगीत।

    बंज़र में भी फूल खिलाता है संगीत
    उदास चेहरे पर मुस्कान जगाता है संगीत ।

    कहीं खुदा की इबादत हो जाता है संगीत
    कहीं कुरआन की आयत , गीता के श्लोक हो जाता है संगीत।

    कहीं दूर चरवाहे के दिल में बसता संगीत
    कहीं पंक्षियों के कलरव से उपजता संगीत ।

    संगीत की कोई सीमा नहीं होती
    धरती के कण – कण में बसता है संगीत।

  • गर निराशा आशा पर भारी पड़ने लगे – अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

    गर निराशा आशा पर भारी पड़ने लगे – अनिल कुमार गुप्ता अंजुम

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह



    गर निराशा ,आशा पर भारी पड़ने लगे

    जब उचित –अनुचित का भाव् मन से ओझल होने लगे।

    जब आस्तिक – नास्तिक का बोध न हो

    समझो मानव , निराशा के अंधे कुँए में गोते लगा रहा है।



    जब प्रभु भक्ति से मन खिन्न होने लगे

    जब उसकी महिमा पर संदेह होने लगे।

    जब उसके अस्तित्व पर ही प्रश्न उठने लगें

    समझो मानव सभ्यता अपने पतन की और अग्रसर है।

  • अपना जीवन पराया जीवन – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “

    अपना जीवन पराया जीवन – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “

    वर्षा बारिश

    अपना जीवन पराया जीवन

    अस्तित्व को टटोलता जीवन

    क्या नश्वर क्या अनश्वर

    क्या है मेरा , क्या उसका

    जीवन प्रेम या स्वयं का परिचय

    जीवन क्यूं करता हर पल अभिनय

    क्या है जीवन की परिभाषा।



    जीवन , जीवन की अभिलाषा

    गर्भ में पलता जीवन

    कलि से फूल बनता जीवन

    मुसाफिर सा , मंजिल की

    टोह में बढ़ता जीवन

    चंद चावल के दाने

    पंक्षियों का बनते जीवन।



    प्रकृति के उतार चढ़ाव से

    स्वयं को संजोता जीवन

    कभी पराजित सा , कभी अभिमानी सा

    स्वयं को प्रेरित करता जीवन।



    माँ की लोरियों में

    वात्सल्य को खोजता जीवन

    कहीं मान अपमान से परे

    स्वयं को संयमित करता जीवन।



    कहीं सरोवर में कमल सा खिलता जीवन

    कहीं स्वयं को स्वयं पर बोझ समझता जीवन