निज जीवन अपनापन पा लूँ – अनिल कुमार गुप्ता ” अंजुम “

इस कविता में स्वयं के जीवन को दिशा देने का प्रयास किया गया है | इस कविता का विषय है “निज जीवन अपनापन पा लूँ”
निज जीवन अपनापन पा लूँ – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता ” अंजुम “

राह नीर की छोड़ – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “

इस रचना में कवि ने जीवन में आगे बढ़ने को सभी को प्रेरित किया है |
राह नीर की छोड़ – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “

मेरी कक्षा पर कविता – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “

स्कूल कक्षा पर कविता

इस रचना में कवि ने अपनी कक्षा एवं शिक्षकों के सद्चरित्र होने का वर्णन किया है |
मेरी कक्षा – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “

जुगाड़ पर कविता – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “

इस रचना को व्यंग्य के रूप में पेश किया गया है | समाज में चल रहीं अनैतिक परम्पराओं पर कुठाराघात करने की एक कोशिश रचनाकार ने की है |
जुगाड़ – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम “

तेरी खामोश निगाहें – अनिल कुमार गुप्ता ” अंजुम “

यह एक गीत है जिसमे मुहब्बत के विभिन्न पहलुओं को दिखाया गया है |
तेरी खामोश निगाहें – गीत – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता ” अंजुम “