पंद्रह अगस्त की पुकार / अटल बिहारी वाजपेयी

atal bihari bajpei

पंद्रह अगस्त की पुकार / अटल बिहारी वाजपेयी पंद्रह अगस्त का दिन कहता:आज़ादी अभी अधूरी है।सपने सच होने बाकी है,रावी की शपथ न पूरी है॥ जिनकी लाशों पर पग धर करआज़ादी भारत में आई,वे अब तक हैं खानाबदोशग़म की काली बदली छाई॥ कलकत्ते के फुटपाथों परजो आँधी-पानी सहते हैं।उनसे पूछो, पंद्रह अगस्त केबारे में क्या … Read more

हरी हरी दूब पर / अटल बिहारी वाजपेयी

atal bihari bajpei

हरी हरी दूब पर / अटल बिहारी वाजपेयी हरी हरी दूब परओस की बूंदेअभी थी,अभी नहीं हैं|ऐसी खुशियाँजो हमेशा हमारा साथ देंकभी नहीं थी,कहीं नहीं हैं| क्काँयर की कोख सेफूटा बाल सूर्य,जब पूरब की गोद मेंपाँव फैलाने लगा,तो मेरी बगीची कापत्ता-पत्ता जगमगाने लगा,मैं उगते सूर्य को नमस्कार करूँया उसके ताप से भाप बनी,ओस की बुँदों … Read more

क़दम मिला कर चलना होगा / अटल बिहारी वाजपेयी

atal bihari bajpei

क़दम मिला कर चलना होगा / अटल बिहारी वाजपेयी बाधाएँ आती हैं आएँघिरें प्रलय की घोर घटाएँ,पावों के नीचे अंगारे,सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,निज हाथों में हँसते-हँसते,आग लगाकर जलना होगा।क़दम मिलाकर चलना होगा। हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में,अगर असंख्यक बलिदानों में,उद्यानों में, वीरानों में,अपमानों में, सम्मानों में,उन्नत मस्तक, उभरा सीना,पीड़ाओं में पलना होगा।क़दम मिलाकर चलना होगा। … Read more