मीन सिंधु में दहक रही
मीन सिंधु में दहक रही बड़वानल की लपटों में घिरमीन सिंधु में दहक रही।आग हृदय की कौन बुझाएनदियाँ झीलें धधक रही।। मौन हुई बागों में बुल बुलधुँआ घुली है पुरवाईसन्नाटों के ढोल बजे हैंशोक मनाए शहनाई अमराई में बौर झरे सबबया रुदन मय चहक रही।बड़वानल……………….।। सृष्टा का वरदान बताकरशोषण किया धरोहर काभँवरे ने भी खून … Read more