भारत के राज्यों नाम को याद करने के लिए दोहा सूत्र

doha sangrah

भारत के राज्यों नाम को याद करने के लिए दोहा सूत्र भारत के राज्यों पर दोहा उप अपंगु आजहि उमे, अत्रि झाक सिउ राम।गोमि बिमत ‘छग’ के हते, ‘विज्ञ प्रांत के’ नाम।। 🌞 उ – उत्तर प्रदेश 🌞 गो – गोवा🌞 प – पश्चिमी बंगाल 🌞 मि – मिजोरम🌞 अ – अरुणाचल प्रदेश 🌞 बि … Read more

मन हो रहा हताश – बाबूलाल शर्मा

मन हो रहा हताश . ✨✨१✨✨हम ही दुश्मन मीत, अपनी भाषा के बने।बस बड़ बोले गीत, सोच फिरंगी मन वही।।. ✨✨२✨✨बदलें फिर संसार, निज की सोच सुधार लें।दें शिशु हित संस्कार,अंग्रेजी की कार तज।। . ✨✨३✨✨चलें धरातल जान, उड़ना छोड़ें पंख बिन।तब ही हो पहचान, हिन्दी हिन्दुस्तान की।।. ✨✨४✨✨ज्ञान मरघटी तात, नशा उतरता शीघ्र ही।वही … Read more

गणेश- मनहरण घनाक्षरी

गणेश- मनहरण घनाक्षरी ब्रह्म सृष्टिकार दैव,भूमि रचि हेतु जैव,मातृभूमि भार पूर्ण,धारे नाग शेष है। शीश काटे पुत्र का वे,क्रोध मिटे हुआ ज्ञान,हस्ति शीश रोपे शिव,दैवीय निवेश हैं। पार्वती सनेह जान,दिए शम्भु वरदान,पूज्य गेह गेह नेह,देवता गणेश हैं। विष्णु शम्भु देव अज,भूप लोक दम्भ तज,पूजते गणेश को ही,स्वर्ग के सुरेश हैं।. —-+—बाबू लाल शर्मा, बौहरा, विज्ञसिकन्दरा, … Read more

हरतालिका पर कविता

हरतालिका वर्षा में मन भावन,माह भाद्रपद पावन,उमा सा सुहाग संग,चाहे तिय बालिका। तृतीया शुक्ल पक्ष में,नक्षत्र हस्त कक्ष में,पूजे सबलाएँ सत्य,पार्वती प्रणपालिका। धारती कठोर प्रण,निर्जला चखे न तृण,पूर्ण दिन रात व्रती,तीज हरतालिका। नीलकण्ठ हैं अघोरी,उमा ही भवानी गौरी,धारती विविध रूप,दुष्ट हेतु कालिका।. —+—✍©बाबू लाल शर्मा, बोहरा, विज्ञसिकन्दरा, दौसा, राजस्थान

प्रेम के गीत – बाबूलाल शर्मा विज्ञ

प्रेम के गीत – बाबूलाल शर्मा लिखे प्रेम के गीत सुहाने।रीति सनातन मीत निभाने।।‘विज्ञ’ बने मन मीत हमारे।प्रीति निभे सद्भभाव विचारे।।१ कर मात्रा का ज्ञान रचें कवि।‘विज्ञ’ सृजन करते देखे रवि।।हो स्थायी लय तान सुहानी।सम तुकांत लेते कवि ज्ञानी।। २ लिखें अंतरे मनहर प्यारे।समतुकांत रखिए कवि न्यारे।।‘विज्ञ’ शब्द मन रंग अनोखे।लिखें विषय सम्बंधित चोखे।।३ लिखिए … Read more