मन पर कविता

मन पर कविता (१६,१६) मानव तन में मन होता है,जागृत मन चेतन होता है,अर्द्धचेतना मन सपनों मे,शेष बचे अवचेतन जाने,मन की गति मन ही पहचाने। मन के भिन्न भिन्न भागों में,इड़, ईगो अरु सुपर इगो में।मन मस्तिष्क प्रकार्य होता,मन ही भटके मन की माने,मन की गति मन ही पहचाने। मन करता मन की ही बातें,जागत … Read more

बिटिया की शादी कर दूँगा

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बिटिया की शादी कर दूँगा गीत (१६,१६) अब के सब कर्जे भर दूँगा,बिटिया की शादी कर दूँगा।। खेत बीज कर करी जुताई,अब तो होगी बहुत कमाई।शहर भेजना, सुत को पढ़ने।भावि जीवनी उसकी गढ़ने।गिरवी घर भी छुड़वा लूँगा,बिटिया की शादी कर दूँगा।। फसल बिकेगी,चारा होगा,दुख हमने तो सारा भोगा।अब वे संकट नहीं रहेंगे,सहा खूब,अब नहीं सहेंगे।दो … Read more

छीन लिए सब गड़े दफीने

छीन लिए सब गड़े दफीने धरा गाल हँसते हम देखे,जल कूपों मय चूनर धानी।घाव धरा तन फटी बिवाईमानस अधम सोच क्यूँ ठानी।। शस्य श्यामला कहते जिसकोपैंड पैंड पर पेड़ तलाईशेर दहाड़ें, चीतल हाथीजंगल थी मंगल तरुणाई ग्रहण लगा या नजर किसी की,नूर गये माँ लगे रुहानीधरा गाल हँसते ……….।। वसुधा को माता कह कह करछीन … Read more

क्यों जाति की बात करें

क्यों जाति की बात करें(१६,१६) जब जगत तरक्की करता हो,देश तभी उन्नति करता है।जब मानव सहज विकास करे,क्यों जाति द्वेष की बात करें। जाति धर्म मे पैदा होना,मनुजों की वश की बात नहीं,फिर जाति वर्ग की बात करेंयह सच्ची अच्छी बात नहीं। माना जो पहले बीत गया,कुछ कर्मी वर्ग अवस्था थी,नवयुग मे नया प्रभात करें,क्यों … Read more

सुख-दुख की बाते बेमानी

सुख-दुख की बाते बेमानी सुख-दुख( १६,१६)मैने तो हर पीड़ा झेली।सुख-दुख की बाते बेमानी। दुख ही मेरा सच्चा साथी,श्वाँस श्वाँस मे रहे सँगाती।मै तो केवल दुख ही जानूँ,प्रीत रीत मैने कब जानी,सुख-दुख की बाते बेमानी। सुख तो केवल छलना है,मुझे निरंतर पथ चलना है।बाधाओं से कब रुक पाया,जब जब मैने मन में ठानी,सुख-दुख की बातें बेमानी। … Read more