हिंदी कविता-ज्योति यह जले
ज्योति यह जले सूत्र संगठन सँभाल, ज्योति यह जले।कोटि-कोटि दीप-माल ज्योति यह जले। राष्ट्र अंधकार के विनाश के लिए,चिर अतीत के धवल प्रकाश के लिए।बुद्धि के, विवेक के विकास के लिएवृद्धि के समृद्धि के प्रयास के लिए।त्याग की लिए मशाल, ज्योति यह जले। सूत्र संगठन… राष्ट्र की अखण्ड साधना अमर बने,प्राण-प्राण-कंठ की पुकार एक हो।राष्ट्र … Read more