नमन बापू

महात्मा गांधी पर कविता

नमन बापू नमन आपको बापू,  नमन हैैं बारम्बार।सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया,  अत्याचार के आप प्रतिकार।। खादी को किया था आपने प्यार, स्वदेशी अपनाया।सत्य, अहिंसा के हथियार से गौरों को खूब छकाया।।आजादी के परवाने थे,सत्याग्रह के आप रहे प्रतीक।नमक छोडो आंदोलन की भी चले आप लीक।। साबरमती आश्रम में जीवन गुजारा,पोरबंदर के पूत ।सादा खाया,सादा पीया, हाथों … Read more

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बूढ़ी हो गई हैं स्वेटर

सर्दियों पर कविता हिंदी

बूढ़ी हो गई हैं स्वेटर समय के साथबूढ़ी हो गई हैं स्वेटर…यकायक आज..संदूक से निकालकर… आलमारी में सजाते समयधर्मपत्नी बोल उठी थी..आधुनिक समय में कद्र कहाँ है …?दिन रात…आंखें चुंधिया गई थी..बूढ़ी आंखें….लेकिन स्नेह से भरपूर…मशीनों में स्नेह थोड़े ही होता है…?नदारद..कितना मोलभाव किया था..पसंद की पषम…आज तो दुकानें भी मिलती हैं सहज..दुर्लभ है ढूंढना…आधुनिकीकरण … Read more

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हिन्दू नववर्ष ( चैत्र नवरात्र ) पर कविता

चैत्र हिंदू पंचांग का पहला मास है। इसी महीने से भारतीय नववर्ष आरम्भ होता है। हिंदू वर्ष का पहला मास होने के कारण चैत्र की बहुत ही अधिक महता है। अनेक पर्व इस मास में मनाये जाते हैं। चैत्र मास की पूर्णिमा, चित्रा नक्षत्र में होती है इसी कारण इसका महीने का नाम चैत्र पड़ा। … Read more

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आया है चैत्र नवरात्र का त्योहार

उगादी सृष्टि की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए नौ दिनों में मनाया जाता है, हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने उगादी पर ब्रह्मांड का निर्माण शुरू किया था. त्योहार दुर्गा के नौ रूपों का जश्न मनाता है, और पहला दिन (चैत्र नवरात्रि) मानव जाति की शुरुआत का जश्न मनाने … Read more

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जीवन यही है

जीवन यही है मार्च के महीने मेंदेखता हूँ बिखरे पत्ते धरती की छाती पररगड़ते घिसतेहवा की सरसराहट के संगखर्र खर्र की आवाज बिखरती हैं कानों मेंयत्र तत्रटहनियों से अलग होने के बादमृत प्रायः, काली पीली काया बिखरे पत्तों की…छोड़ती है अपनी अमिट छापउम्रदराज हो जाते हैंआदमी की तरह..सूखे पत्तेहरितिमा नहीं रहती जब कायमवसंत ऋतु के … Read more

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किस मंजिल की ओर ?

किस मंजिल की ओर ? क्यारी सूख रही है निरंतर..आग जल रही हैं हर कहीं..घर हो या पास पडौ़स ..विश्वास की डोर नहीं है…टूट रही हैं नित ख्वाहिशेंनहीं  रहा है भाईचारा…प्रेम…स्नेह छूट गया है..कहीं दूर…अंतरिक्ष सदृश्य..वैमनस्य पलने लगा है नजरों में..अंधकार छा रहा है… बादल धुलते नहीं है… अबमन की कालिख…दिल की काल कोठरी मेंईर्ष्या … Read more

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आज मैं बोलूंगा

आज मैं बोलूंगा आज मैं बोलूंगा…खुलकर रखूंगा अपने विचार…अभिव्यक्ति की आजादी जो हैं…सीधे सपााट, सटीक शब्द रखूंगा…आम जनता के मन मस्तिष्क में ..समाने वाले..मस्तिष्क की गहराईयोंं तक…उतर जायेंगे…मौन शब्द…करेंगे …प्रहार पर प्रहार… छलनी करेेंगे…अन्तर्आत्मा…नहीं कहूूंंगा अनर्गल…कहना भी नहीं चाहिए क्योंकि…अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब…किसी पर कुछ भी… जबरन लादना तो नहीं है…नहीं भूलूंगा अपनी सीमाएं….करूंगा … Read more

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