वाणी वन्दना
वाणी वन्दना निर्मल करके तन_ मन सारा, सकल विकार मिटा दो माँ, बुरा न कहे माँ किसी को भी विनय यह स्वीकारो माँ। अन्दर ऐसी ज्योति जगाओ हर जन का उपकार करें, मुझसे यदि त्रुटि कुछ हो जाय उनसे मुक्ति दिलाओ माँ। प्रज्ञा रूपी किरण पुँज तुम हम तो निपट अज्ञानी है, हर दो … Read more