महिला दिवस पर कविता

बेखबर स्त्रियां स्त्रियों के सौंदर्य काअलंकृत भाषा मेंनख से शिख तक मांसल चित्रण किए गएश्रृंगार रस में डूबेसौंदर्य प्रेमी पुरुषों ने जोर-जोर से तालियां बजाईमगर तालियों की अनुगूंज मेंस्त्रियों की चित्कारकभी नहीं सुनी गईं कविताओं में स्त्रियांखूब पढ़ी गई और खूब सुनी गईमगर आदि काल से अब तककविताओं से बाहरयथार्थ के धरातल परस्त्रियां ना तो … Read more