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  • पावस पर कविता – नीरामणी श्रीवास नियति

    पावस पर कविता

    falgun mahina
    फागुन महिना पर हिंदी कविता

    पावस ऋतु अब आ गई , घिरी घटा घनघोर ।
    चमचम चमके दामिनी , बादल करते शोर ।।
    बादल करते शोर , भरे नदिया अरु नाला ।
    चले कृषक खलिहान , लगा कर घर में ताला ।
    नियति कहे कर जोड़ , दिखे ज्यों रात्रि अमावस ।
    अँधियारा चहुँ ओर , घटा छाये जब पावस ।।

    पावन पावस ऋतु सदा , शीतल करती जान ।
    ग्रीष्म ताप के बाद में , गिरे बूँद खलिहान ।।
    गिरे बूँद खलिहान , तृप्त है प्यासी धरती ।
    सूखा हो आकाल , प्यास से जनता मरती ।।
    नियति कहे कर जोड़ , जरा अब बरसो सावन ।
    अगन बुझे हर देह , बूँद से कर दे पावन ।।

    खड़ा हिमालय रोकता , वारिद जल को मान ।
    पेड़ काट नर कर रहा , पर्वत भी बेजान ।।
    पर्वत भी बेजान , इसी से होती वर्षा ।
    पावस देख किसान , खुशी से मन भी हर्षा ।।
    नियति कहे कर जोड़ , देह फिर बने शिवालय ।
    सभी लगाओ पेड़ , कहे नित खड़ा हिमालय ।।

    नीरामणी श्रीवास नियति
    कसडोल छत्तीसगढ़