कंगन की खनक समझे चूड़ी का संसार
कंगन की खनक समझे चूड़ी का संसार HINDI KAVITA || हिंदी कविता नारी की शोभा बढ़े, लगा बिंदिया माथ।कमर मटकती है कभी, लुभा रही है नाथ। कजरारी आँखें हुई, काजल…
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