शीत ऋतु पर ताँका
शीत ऋतु पर ताँका{01}ऋतु हेमंत नहला गई ओसधरा का मनतन बदन गीलेहाड़ों में ठिठुरन ।{02}लाए हेमंत दांतों…
कविता
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर ०प्रदीप कुमार दाश दीपक के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .