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यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर0 रीता प्रधान’ के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • मौसम कुछ उदास है- रीता प्रधान

    मौसम कुछ उदास है- रीता प्रधान

    धरती , पृथ्वी

    दिलों में जाने क्यों,
    बाकी न कोई एहसास है।
    एक भाई को ही दूजे भाई की,
    जाने क्यों खून की प्यास है।
    प्रकृति तो उदास बैठी ही थी,
    अब दिलों का भी मौसम कुछ उदास है।

    जवानी आते जाने कहां ,
    चला जाता है बचपन का प्यार।
    घरवाले ही घरवालों पर,
    जाने क्यों करते हैं अत्याचार।
    देख दशा ये मानव की ,प्रकृति भी उदास है।
    अब दिलों का भी ,मौसम कुछ उदास है ।

    आज लोग जलते हैं जाने क्यों,
    अपनों की कामयाबी देख।
    बहुत कम हो गया है लोगों में,
    करना कोई काम नेक।
    हो रहा प्रकृति का भी ,दोहन अनायास है
    अब दिलों का भी ,मौसम कुछ उदास है।

    उदासीनता से भरी जिंदगी,
    लोग आज एक दूसरे से दूर हैं।
    कोई जी रहा है शान से,
    कोई जीने को मजबूर हैं।
    दुर्व्यवहार से प्रकृति भी ,बैठी हताश है।
    अब दिलों का भी ,मौसम कुछ उदास है।

    एक दिन आयेगा कभी तो ऐसा,
    रिश्ते प्रकृति सम खिल जायेंगे।
    रिश्ते भी महकेंगे और,
    प्रकृति को भी महाकायेंगे।
    यही मेरी एक, छोटी सी आस है
    तब दिलों का भी ना रहेगा, मौसम कुछ उदास है

    आत्मीयता का भाव कभी,
    लोगों के मन में भी तो आयेगा।
    प्रकृति की भी सेवा होगी,
    मानव धर्म निभाएगा ।
    प्रकृति ही करती चयन ,कुछ का करती विनाश है।
    खिल जायेगा वो भी जो दिलों का, मौसम कुछ उदास है।


    रीता प्रधान
    रायगढ़ छत्तीसगढ़

  • काश तुझे भी मेरे साथ रहना आ जाए

    काश तुझे भी मेरे साथ रहना आ जाए

    लिख दी मैंने अपनी भावनाएं पन्नों में उतार के

    काश तुझे शब्द की जगह भावनाएं पढ़ना आ जाए

    छुपा ली है मैंने सारी मोतियां अपनी आंखों में

    काश तुझे ये आंसू चुराना आ जाए

    दिल में दबा के रखे हैं मैंने कुछ दर्द ए आलम

    काश तुझे इन्हे समझना आ जाए

    गुजर रही हूं मैं हालात ए मुश्किलों से

    काश तुझे संभल के चलना आ जाए

    चुप हूं कहीं मै आज समाज के डर से

    काश तुझे अपने लिए कहना आ जाए

    थक गई हूं मै ये जिंदगी का सफर तय करते

    काश तुझे भी थोड़ा मेरे लिए रुकना आ जाए

    खूबसूरत लगेगी ये जिंदगी भी मुझको

    काश तुझे भी मेरे साथ रहना आ जाए

    रीता प्रधान, रायगढ़

  • ऋतुओं का राजा होता ऋतुराज बसंत

    ऋतुओं का राजा होता ऋतुराज बसंत

    ऋतुओं का राजा

    इस दुनिया में तीन मौसम है सर्दी गर्मी और बरसात।
    इनमें आते ऋतुएं छह ,चलो करते हैं हम इनकी बात।
    सभी ऋतुओं का राजा होता , ऋतुराज बसंत।
    चारों ओर हरियाली फैलाता, चित्त को देता आनंद।।
    फरवरी कभी मार्च से होता है तुम्हारा आगमन।
    खेतों में सरसों के फूल , झूमते हैं होकर मस्त मगन।
    पूरे साल में केवल बसंत में खिलते हैं फूल कमल ।
    पशु-पक्षी भी करती इस ऋतु में , अति चहल पहल।
    प्रकृति की सुंदरता बढ़ाती, पेड़ों की हर डाली लहराता।
    ना ज्यादा गर्मी लगती है , ना ज्यादा सर्दी सताता।
    चारों ओर छाती प्रसन्नता, मधुर तान सुनाती अपनी कोयल।
    पीलापन छा जाता सब ओर, पैरों में छनकती खुशियों की पायल।
    ऋतु वसंत के नाम पर , लोग मानते त्यौहार वसंत पंचमी।
    मात सरस्वती की पूजा करते , मन से अपने पूरे सभी।
    होली जैसा रंग बिरंगा, त्यौहार देन है ऋतु वसंत की।
    मेला लगाते कई जगहों पर , व्यक्त करते अपने आनंद की।
    इसीलिए तो ऋतु वसंत , ऋतुओं का राजा कहलाता है।
    वातारण में लाता नवीनता , मन को प्रफुल्लित कराता है।।

    रीता प्रधान,रायगढ