विश्व पुस्तक दिवस पर दोहे

यह विभिन्न श्रेणियों के अर्न्तगत हिंदी, अंग्रेजी तथा अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओँ एवं ब्रेल लिपि में पुस्तकें प्रकाशित करता है। यह हर दूसरे वर्ष नई दिल्ली में ‘विश्व पुस्तक मेले’ का आयोजन करता है, जो एशिया और अफ्रीका का सबसे बड़ा पुस्तक मेला है। यह प्रतिवर्ष 14 से 20 नवम्बर तक ‘राष्ट्रीय पुस्तक सप्ताह’ भी मनाता है। विश्व पुस्तक दिवस पर दोहे ज्ञान,ध्यान,विज्ञान … Read more

विरोधाभासपूर्ण कविता

विरोधाभासपूर्ण कविता आर आर साहू, छत्तीसगढ़ हो न यदि संवेदना पर पीर की,मोल क्या जानोगे श्री रघुवीर की! दुष्ट दुर्योधन दुशासन हैं जहाँ,दुर्दशा है द्रौपदी के चीर की। सत्य को सूली लगाकर आज वो,छद्म पूजा कर रहे तस्वीर की। रौशनी की ओट ले फूली-फली,सल्तनत अंधेर के जागीर की। पाप को मन में छिपा तन धो … Read more

होड़ लगी है विश्व में करें इकट्ठा शस्त्र

होड़ लगी है विश्व में करें इकट्ठा शस्त्र होड़ लगी है विश्व में, करें इकट्ठा शस्त्र।राजनीतिक होने लगी,खुले आम निर्वस्त्र।। सीमाएँ जब लाँघता,है सत्ता का लोभ।जन-मन को आक्रांत कर,पैदा करता क्षोभ।। सत्ताधारी विश्व के, पैदा करें विवाद ।शांति हेतु अनिवार्य है,जनता से संवाद।। सृजनात्मक सहयोग से,बंद करें कटु युद्ध ।धरती पुत्रों अब उठो,सम्हलो स्वार्थ विरुद्ध।। … Read more

धन्य वही धन जो करे आत्म-जगत् कल्याण

धन्य वही धन जो करे आत्म-जगत् कल्याण धन्य वही धन जो करे, आत्म-जगत् कल्याण।करे कामना धर्म की,मिले मधुर निर्वाण। संग्रह केवल वस्तु का,विग्रह से अनुबंध।सुविचारों की संपदा,से संभव संबंध।। धन-दौलत के साथ ही,बढ़ता क्यों अपराध।कठिन दंड भी शांति को,कहाँ सका है साध।। शिक्षा,जब माना गया,केवल भौतिक ज्ञान।मानव-मूल्यों के बिना,दुखद भ्राँत उत्थान।। निधन हुआ धन से … Read more

मूर्ख कहते हैं सभी

मूर्ख कहते हैं सभी मूर्ख कहते हैं सभी,उसका सरल व्यवहार है,ज्ञान वालों से जटिल सा हो गया संसार है। शब्द-शिल्पी,छंद-ज्ञाता,अलंकारों के प्रभो!क्या जटिल संवाद से ही काव्य का श्रृंगार है? जो नपुंसक हैं प्रलय का शोर करते फिर रहे,नव सृजन तो नित्य ही पुरुषत्व का उद्गार है। द्वेष रूपी खड्ग से क्या द्वेष का वध हो … Read more