ज्योति पर्व नवरात पर दोहे -आर आर साहू
ज्योति पर्व नवरात पर दोहे जगमग-जगमग जोत से,ज्योतित है दरबार।धरती से अंबर तलक,मां की जय-जयकार।। मनोकामना साथ ले,खाली झोली हाथ।माँ के दर पे टेकते,कितने याचक माथ।। धन-दौलत संतान सुख,पद-प्रभुता की चाह।माता जी से मांगकर,लौटें अपनी राह।। छप्पन भोगों का चढ़ा माँ को महाप्रसाद।इच्छाओं के बोझ को मन में राखा लाद।। घी का दीपक मैं जला,करने … Read more