मेरे वो कश्ती डुबाने चले है

मेरे वो कश्ती डुबाने चले है रूठे महबूब को हम मनाने चले है |अपनी मजबूरीया उनकों सुनाने चले है | जो कहते थे तुम ही तुम हो जिंदगी मेरी  |बीच दरिया मेरे वो कश्ती डुबाने चले है | ख्यालो ख्याबों मेरी  सूरत उनका था दावा |डाल गैरो गले बाहे वो मुझको भुलाने चले है | … Read more