कवयित्री वर्षा जैन “प्रखर” प्रदूषण पर आधारित कविता

प्रदूषण पर आधारित कविता यत्र प्रदूषण तत्र प्रदूषण सर्वत्र प्रदूषण फैला हैखानपान भी दूषित हैवातावरण प्रदूषित है जनसंख्या विस्फोट भी एक समस्या भारी हैजिसके कारण भी होतीप्रदूषण की भरमारी है जल, वायु, आकाश प्रदूषितनभ, धरती, पाताल प्रदूषितमिल कर जिम्मेदारी लेंइस समस्या को दूर भगा लें शतायु होती थी पहलेअब पचास में सिमटी हैये आयु भी अब … Read more

कवयित्री वर्षा जैन “प्रखर” आस का दीपक जलाये रखने की शिक्षा

आस का दीपक जलाये रखने की शिक्षा दीपावली की पावन बेलामहकी जूही, खिल गई बेलाधनवंतरि की रहे छायानिरोगी रहे हमारी कायारूप चतुर्दशी में निखरे ऐसेतन हो सुंदर मन भी सुधरे महालक्ष्मी की कृपा परस्परहम सब पर हरदम ही बरसेमाँ लक्ष्मी के वरद हस्त नेइतना सक्षम हमें किया हैदिल में सबके प्यार जगाएंअपनी खुशियाँ चलो बाँट … Read more

प्रकाश पर कविता-वर्षा जैन “प्रखर”

प्रकाश पर कविता मन के अंध तिमिर में क्याप्रकाश को उद्दीपन की आवश्यकता है? नहीं!! क्योंकि आत्म ज्योति काप्रकाश ही सारे अंधकार को हर लेगाआवश्यकता है, तो बस अंधकार को जन्म देने वाले कारक को हटाने कीउस मानसिक विकृत कालेपन को हटाने कीजो अंधकार का जनक हैयदि अंधकार ही नहीं होगा तो मन स्वतः ही प्रकाशित रहेगामन प्रकाशित होगा तो वातावरण … Read more

विश्वास की परिभाषा – वर्षा जैन “प्रखर”

विश्वास की परिभाषा विश्वास एक पिता का कन्यादान करे पिता, दे हाथों में हाथयह विश्वास रहे सदा,सुखी मेरी संतान। योग्य वर सुंदर घर द्वार, महके घर संसारबना रहे विश्वास सदा, जग वालों लो जान। विश्वास एक बच्चे का पिता की बाहों में खेलता, वह निर्बाध निश्चिंतउसे गिरने नहीं देंगे वह, यह उसे स्मृत। पिता के प्रति बंधी … Read more

हाँ ये मेरा आँचल-वर्षा जैन “प्रखर

हाँ ये मेरा आँचल आँचल, हाँ ये मेरा आँचलजब ये घूंघट बन जाता सिर परआदर और सम्मान बड़ों काघर की मर्यादा बन जाता है जब साजन खींचें आँचल मेराप्यार, मनुहार और रिश्तों मेंयही सरलता लाता हैप्यार से जब शर्माती हूँ मैंये मेरा गहना बन जाता है मेरा बच्चा जब लड़ियायेआँचल से मेरे उलझा जाएममता का … Read more