सनातन धर्म पर कविता

सनातन धर्म पर कविता देश को देखकर आगे बढ़े सनातनधर्म हिन्दी भारतवर्ष महानके लिये।देश को देखकर आगे बढ़े उत्थान के लिये। स्वदेश की रक्षा में जन-जन रहे तत्पर।सदभाव विश्वबंधुत्व का हो भाव परस्पर।काम क्रोध मोह लोभ मिटे दम्भ व मत्सर।रहे सब कोई एकत्व समता में अग्रशर।उद्धत रहे पल-पल प्रभु गुणगान के लिये।देश को देखकर आगे … Read more

धर्म की कृत्रिमता पर कविता-नरेंद्र कुमार कुलमित्र

धर्म की कृत्रिमता पर कविता कृत्रिम होती जा रही है हमारी प्रकृति-03.03.22—————————————————-हिंदू और मुसलमान दोनों कोठंड में खिली गुनगुनी धूप अच्छी लगती हैचिलचिलाती धूप से उपजी लू के थपेड़ेदोनों ही सहन नहीं कर पाते हिंदू और मुसलमान दोनोंठंडी हवा के झोंकों से झूम उठते हैंतेज आंधी की रफ्तार दोनों ही सहन नहीं कर पाते हिंदू … Read more

धर्म पर कविता- रेखराम साहू

धर्म पर कविता- रेखराम साहू धर्म जीवन का सहज आधार मानो,धारता है यह सकल संसार मानो। लक्ष्य जीवन का रहे शिव सत्य सुंदर,धर्म का इस सूत्र को ही सार मानो। देह,मन,का आत्म से संबंध सम्यक्,धर्म को उनका उचित व्यवहार मानो। दंभ मत हो,दीन के उपकार में भी,दें अगर सम्मान तो आभार मानो। भूख का भगवान … Read more