स्वास्थ्य पर सजगता – विनोद सिल्ला

स्वास्थ्य पर सजगता सेहत सुविधा कम हुई, बढ़े बहुत से रोग| दाम दवाओं के बढ़े, तड़प रहे हैं लोग|| अस्पताल के द्वार पर, बड़ी लगी है भीड़|रोग परीक्षण हो रहे, सब की अपनी पीड़|| ऊंचे भवन बना लिए, पैसा किया निवेश|दूर हुआ जब प्रकृति से, पनपे सभी कलेश|| खान-पान बदले सभी, फास्ट-फूड परवान|रोगों की भरमार … Read more

चुगली रस – विनोद सिल्ला

चुगली रस मीठा चुगली रस लगे, सुनते देकर ध्यान। छूट बात जाए नहीं, फैला लेते कान।। चुगलखोर सबसे बुरा, कर दे आटोपाट।नारद से आगे निकल, सबकी करता काट।। चुगली सबको मोहती, नर हो चाहे नार।चुगली के फल तीन हैं, फूट द्वेष तकरार।। चुगली निंदा जो करें, सही नहीं वो लोग।चुगल पतन की ओर है, पड़े … Read more

आहट पर कविता – विनोद सिल्ला

आहट पर कविता सिंहासन खतरे मेंहो ना होसिंह डरता है हर आहट से आहट भीप्रतीत होती है जलजलाप्रतीत होती है उसे खतरावह लगा देता हैऐड़ी-चोटी का जोरकरता है हर संभव प्रयासआहटों को रोकने का अंदर से डरा हुआताकतवर हो कर भीडरता है बाहर कीहर आहट से मान लेता है शत्रुतमाम अहिंसक व शाकाहारी निरिह जानवरों … Read more

अब तो भर्ती-विनोद सिल्ला

अब तो भर्ती अब तो भर्ती खोलिए, बहुत हुआ सरकार। पढ़-लिखकर हैं घूमते, युवा सभी बेकार।। नयी-नयी नित नीतियां, सत्ता ने दी थोप।रोजगार की खोज में, चले युवा यूरोप।। जितना जो भी है पढ़ा, दे दो वैसा काम।वित पोषण हो देश का, सुखी रहे आवाम।। पढ़-लिखकर भी बन रहे, मजबूरन मजदूर। ठोकर दर-दर खा रहे, … Read more

नशा नाश करके रहे- विनोद सिल्ला

यहां पर नशा नाश करके रहे , जो कि नशा मुक्ति पर लिखी गई विनोद सिल्ला की कविता है। नशा नाश करके रहे नशा नाश करके रहे,नहीं उबरता कोय।दूर नशे से जो रहे, पावन जीवन होय।। नशा करे हो गत बुरी, बुरे नशे के खेल।बात बड़े कहकर गए,नशा नाश का मेल।। नशा हजारों मेल का, … Read more