Tag #विनोद सिल्ला

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर 0 #विनोद सिल्ला के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

लोग क्या कहेंगे पर कविता

लोग क्या कहेंगे पर कविता वो नहीं समझ सकतेआजादी का महत्वजो आजाद हैं आजादी का महत्वजानता है बंधुआ मजदूरजिसे जबरनरखा जाता है काम पर या पूछिए अछूतों सेजिन्हें नहीं मिलीआज तलक आजादीजिन्हें धर्मग्रंथआज भी करते हैं प्रताड़ित या फिरबता सकती…

नारी चेतना पर कविता

नारी चेतना पर कविता ऐ! नारीतू करती है अराधनाउन अराध्यों कीजो हैं तेरे दोषीकिया शोषण सदैवजिन्होंने तेरा समझा तुझेश्रंगार-रस कीविषय-वस्तुनहीं दिया हकसमानता काकिया सदैव भेदभाव गवाह हैं इस सबकेअनेक धर्म-ग्रंथजो चीख-चीख करकरते हैं ब्यानतेरे शोषण की कहानी -विनोद सिल्ला© Post…

पढ़ा-लिखा मूर्ख पर कविता

पढ़ा-लिखा मूर्ख पर कविता मोहम्मद तुगलकतू हर बाररात के अंधेरे मेंकरता है जारीतुगलकी फरमानजो लागू होते हैंरात के अंधेरे में हीतू उजालों से डरता तो नहींअपने फरमान सुनाने से पूर्वकर लिया कर कुछ विचार विगत में भीजारी किए फरमानगलत नहीं…

जिंदाबाद पर कविता

जिंदाबाद पर कविता लाईलाज घातकवायरस के आगमन परदेवालय, खुदालय व गोडालयया अन्य धर्मस्थलसब बंद हैंआरती, अजान व प्रार्थनाअनिश्चित काल के लिएटाल दीं गईं हैंअनुष्ठान निलंबित हैंटोने-टोटकेजादू-मंत्रसब निष्प्रभावी हैंखुले हैंऔषधालय, दवालय व जांचालयचिकित्सक जिंदाबादबहुउद्देशीय स्वास्थ्य-कर्मी जिंदाबादविज्ञान जिंदाबादमास्क बनाने वालेजिंदाबादमास्क बांटने वालेजिंदाबाद…

घर-बेघर पर कविता

घर-बेघर पर कविता सरकार का आदेश हैआज मुझेऔर बाकी सब को भीघर पर रहना हैमैं और बाकी सबहर संभव प्रयास करकेघर पर ही रहेंगेलेकिन सरकारयह बताना भूल गईकहाँ रहेंगेनगरों-महानगरों के बेघरजिनका धरती बिछौनाआसमान ओढ़ना हैजो करते हैं विचरणसरकारों केमुख्यालयों की…

खादीधारी पर कविता

खादीधारी पर कविता समय-समय परपनप जाते हैंनए-नए नाम सेनए-नए वायरसजो करते हैं संक्रमितइंसानों कोबिना जाति-धर्म काभेदभाव किएढूंढ़ा जाता है उपचारइन वायरस का संसद-विधानसभाओं मेंचौकड़ी मारे बैठे वायरसजाति-धर्म के नाम परकरते हैं संक्रमितमानवता कोनहीं हुआ आज तककोई अनुसंधानइनके उपचार के लिएसर्वाधिक…

कर्ज पर कविता

कर्ज पर कविता कर्ज था कर्ज थाकर्ज हीउस किसान कामर्ज थाकह गया अलविदाजहान को कर्ज थाकर्ज हीउस पूंजीपति कामर्ज थाकह गया अलविदाभारत को कर्ज थाकर्ज हीउस बैंक कामर्ज थाकह गया अलविदाअस्तित्व को -विनोद सिल्ला© Post Views: 33

मेरा परिचय पर कविता-विनोद सिल्ला

मेरा परिचय पर कविता -विनोद सिल्ला चौबीस मई तारीख भई,उन्नीस सौ सत्ततर सन।सन्तरो देवी की कोख सेविनोद सिल्ला हुआ उत्पन्न।। माणक राम दादा का लाडला,उमेद सिंह सिल्ला का पूत।भाटोल जाटान में पैदा हुआ,क्रियाकलाप नाम अनुरूप।। सन् उन्नीस सौ बानवे में…

मुलाकात पर कविता

मुलाकात पर कविता मैं जब भीफरोलता हूँअलमारी में रखेअपने जरूरी कागजाततो सामने आ ही जाती हैएक चिट्ठीजो भेजी थीवर्षों पहलेमेरे दिल केमहरम नेभले ही उससेमुलाकात हुएहो गए वर्षोंपर चिट्ठीकरा देती है अहसासएक नई मुलाकात का -विनोद सिल्ला© Post Views: 37

साहब कांसीराम पर कविता

साहब कांसीराम पर कविता वो साईकिल चलाने वालासाहब कांसीराम था। वंचित को हक दिलाने वालासाहब कांसीराम था। बामसेफ को बनाने वालासाहब कांसीराम था। नीला झंडा उठाने वालासाहब कांसीराम था। खून में उबाल लाने वालासाहब कांसीराम था। शुद्र मन पर छाने…