आर आर साहू-भावभरे दोहे
भावभरे दोहे प्रकृति प्रदत्त शरीर में,नर-नारी का द्वैत।प्रेमावस्था में सदा,है अस्तित्व अद्वैत।। पावन व्रत करते नहीं,कभी किसी को बाध्य।व्रत में आराधक वही, और वही आराध्य ।। परम्पराएँ भी वहाँ,हो जाती निष्प्राण।जहाँ कैद बाजार में,हैं रिश्तों के प्राण।। एक हृदय से साँस ले, प्रियतम-प्रिया पवित्र।श्रद्धा से विश्वास का,दिव्य सुगंधित इत्र।। भाव सोच अवधारणा,होते शब्द प्रतीक।देश काल … Read more