सावित्रीबाई फुले जयंती पर विशेष कविता – नारी शिक्षा की ज्योति

सावित्रीबाई फुले जयंती पर विशेष कविता – नारी शिक्षा की ज्योति

प्रतिवर्ष 3 जनवरी को सावित्रीबाई फुले का जयंती मनाया जाता हैं . यहाँ सावित्रीबाई फुले पर कविता दी जा रही हैं, आपको कैसी लगी सन्देश लिखकर भेजें .

3 जनवरी को सावित्रीबाई फुले की जयंती पर उन्हें समर्पित कविता। नारी शिक्षा की पथप्रदर्शक और समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले के प्रेरणादायक जीवन पर आधारित विशेष काव्य। पढ़ें और जानें उनकी महानता के बारे में।

सावित्रीबाई फुले जयंती पर विशेष कविता
सावित्रीबाई फुले पर कविता

नमन सावित्रीबाई फुले /अंशी कमल

परहित जनसेवा में जिसने, था तन-मन अपना वारा।
नमन करे उस सावित्री के, चरणों में यह जग सारा।।

पितु खण्डोजी धन्य हुए थे, माँ लक्ष्मी भी धन्य हुई।
सावित्री को जन देखो भू, महाराष्ट्र की धन्य हुई।।
जिसके कारण तीन जनवरी, तिथि युग-युग तक अमर हुई।
जिसके श्रम से रूढ़िवाद की, टेढ़ी सारी कमर हुई।।
जिसके दृढ़ संकल्पों से था, रूढ़िवाद का तम हारा।
नमन करे उस सावित्री के, चरणों में यह जग सारा।।

बाल उमर में ही जिसका था, ब्याह ज्योतिबा संग हुआ।
ज्ञान वीरता संग सौम्यता, लख जन मन सब दंग हुआ।।
नारी शिक्षा की खातिर थे, जिसने अनगिन कष्ट सहे।
बाधाएँ लख लाख राह में, अश्रु न जिसके कभी बहे।।
हर मुश्किल में बढ़ती थी जो, बनकर सुरसरि की धारा।
नमन करे उस सावित्री के, चरणों में यह जग सारा।।

कुशल शिक्षिका- कवयित्री के, गुण थे जिसमें भरे हुए।
जिसके पद चिह्नों पर चलने, आज मनुज दल खड़े हुए।
रूढ़िग्रस्त समाज को जिसने, शिक्षा का शुचि दान दिया।
नारी के उत्थान हेतु था, हर निज सुख कुर्बान किया।।
स्वार्थ पूर्ण जीवन इक पल भी, जिसको तनिक न था प्यारा।
नमन करे उस सावित्री के, चरणों में यह जग सारा।।

अंशी कमल
श्रीनगर गढ़वाल, उत्तराखण्ड

सावित्री बाई- चमचमाता नगीना/ माला पहल

सिर पर पल्लू, ललाट पर रेखा लाल,
मुख पर ओज,चमकता भाल,
जिनका जन्मदिन है आज,
ऐसी गौरवमूर्ति सावित्रीबाई को वंदन करता समाज,


‘स्त्री शिक्षा की प्रणेता’, ‘प्रथम स्त्री शिक्षिका’ का जिनको मिलता है मान,
उनको वंदन, शत शत बार प्रणाम ,
अगर पार न की होती देहरी,
स्त्री के जीवन में रहती हमेशा दुपहरी,


प्रथम कदम रखा जो आँगन के बाहर,
आ गयी स्त्री जीवन में बहार ही बहार,
वसुंधरा से अंबर तक छाई है स्त्री,
यह सम्मान दिलाई है सावित्री।


खाई जिसने गालियाँ, शाप और थपेडे,
झेले गोबर और मिट्टी के ढेले,
न डगमगाई,न घबराई,
अकेले ही लड ली लडाई,


कोटि कोटि धन्यवाद ज्योतिराव फुले को,
तभी तो पाया हमने सावित्रीबाई फुले को।
प्लेग बीमारी ने छीना सावित्रीबाई को,
पर ‘बालिका दिन’ याद दिलायेगा सावित्रीबाई को ।

माला पहल मुंबई

वीरांगना सावित्री फूले/ रामकुमार बंजारे

पढ़ लो इतिहास के पन्नों को पलट कर
किसने शिक्षा का जोत जलाया था,
स्त्रियों ,वंचितों को सबसे पहले
शिक्षा का अधिकार दिलाया था।

लोहा लिया था उसने मनुवादियों से ,
पाखंडवाद और अंधविश्वास का
नामोनिशान मिटाया था।
शिक्षा की वह देवी थी जिसने
अकेले ही क्रांति लाया था।

कीचड़ फेंके लोगों ने उनके ऊपर
पग – पग में कांटे बिछाया था।
वह थी ऐसी वीरांगना जिसने
डटकर मुकाबला कर विरोध जताया था।

समता ,स्वतंत्रता ,बंधुत्व का लेकर
झंडा जिसने उठाया था ।
ज्योतिबा फूले की थी अर्धांगिनी
सावित्री फुले नाम को पाया था।

हम भूल गए उनके उपकारों को,जिसने
जीवन से हमारे अंधेरा दूर हटाया था।
ऐसी थी वह स्त्री जिसने
*भारत माता का नाम बढ़ाया था।

*रचयिता – रामकुमार बंजारे*

सावित्रीबाई तुझे सदा नमन/ मनीभाई पटेल

नारी के सम्मान की ज्योति जलायी,
शिक्षा का दीपक हर घर में लगाई।
तूने समाज को राह दिखलाई,
अधिकारों की लड़ाई की धुन जगाई।

अज्ञान का अंधकार मिटाने वाली,
सावित्रीबाई, तू थी प्रेरणादायी।
शिक्षा का हथियार पकड़ा जो हाथों,
समाज को बचाया तूने झूठे पाठों।

तूने नारी को उसका हक दिलवाया,
हर बच्ची को पढ़ने का अधिकार दिलाया।
तूने पग-पग पर संघर्ष किया,
समाज के बंधनों को तोड़ दिया।

तेरे कदमों से बदलाव की रेखा चली,
तूने हर दिल में क्रांति की अलख जली।
तेरे विचारों से आज हम बढ़े,
तेरी विरासत से नवयुग में चढ़े।

तेरे बलिदानों को हम न भूलेंगे,
तेरी राहों पर चलना न छोड़ेंगे।
सावित्रीबाई, तुझे सदा नमन,
तेरी जयंती पर तुझे अर्पण।

तेरे संघर्ष को, हम आगे बढ़ाएंगे,
तेरे सपनों को, हम साकार कर दिखाएंगे।

मनीभाई नवरत्न

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Comments

  1. अंशी कमल

    मेरी रचना को सम्मान देेने हेतु सम्मानीय मंच एवं आद. आयोजक मण्डल का हार्दिक आभार🙏🙏🙏🙏🙏

  2. Ayushi badoni

    Amazing poem❤

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