हिन्दी वर्णमाला विचार
अ से अनार , का फल है ताजा ।
आ से आम , फलों में राजा ।
इ से इमली , वो खट्टी-खट्टी ।
ई से ई ईख , वो उतनी ही मीठी ।
उ से उल्लू , रात को आए ।
ऊ से ऊन का, ठंड में भाए ।
ऋ से ऋषि है , आद्यात्म झरोखा ।
देख-देख लगे , जीवन चोखा ।
ए से एडी , जो पांव आधार ।
ऐ से ऐनक से ,सब दिखता संसार ।
ओ से ओखली ,अन्न कूट के खाएं ।
औ से औरत , घर शोभा बढ़ाए ।
अं से अंगूर , वो खट्टे-मीठे ।
अः से हँस लो , तुम सुनो लतीफ़े ।
क से कबूतर , छत,खा रहा दाना ।
ख से खरगोश ,दम, होड़ लगाना।
ग से गमला , घर शोभा बढ़ाएं ।
घ से घर ही , आराम में भाए ।
ङ खाली, खाली नहीं भइया ।
चढ़े ‘ दिनांक ‘ पर ,बदले दिन ढइया ।
च से चम्मच , से मन चाहे खा लो।
छ से छाता , खुद वर्षा बचा लो ।
ज से जग में , तुम पानी भर लो ।
झ से झंडा , नभ ऊँचा कर लो ।
ञ खाली , ‘ व्यंजन ‘ में लगता ।
तरह-तरह के स्वाद तु चखता ।
ट से टमाटर , वो लालमलाल ।
ठ से ठठेरा , दिन भर है धमाल ।
ड से डमरु , शिव का बाजा ।
ढ से ढककर , पानी रख ताजा ।
ण खाली , ‘ ठण्डक ‘ है बनाता ।
‘ बाण ‘ में लगकर लक्ष्य पहुंचाता ।
त से तरबूज , फल बड़ा है भारी ।
थ से थरमस , रखें गरमाई सारी ।
द से दरवाजा , तुम ठीक भिड़ाओ ।
ध से धन , चोरों से बचाओ ।
न से नल में , व्यर्थ बहाओ न पानी ।
रीत गया जल तो ,सब खत्म कहानी ।
प से पतंग , तुम खूब उड़ाओ ।
फ से फल , मुन्ना सब खाओ ।
ब से बतख , पानी में डोले ।
भ से भालू , वन शहद टटोले ।
म से मछली , जल की रानी ।
साफ पानी को समझे सयानी ।
य से यज्ञ में , सब आहुति डालो ।
र से रस्सी ,कूदो ,स्वास्थ्य बनालो ।
ल से लट्टू , गोल-गोल ही घूमे ।
व से वन , मन-मंगल झूमे ।
क्ष से क्षत्रिय , वो युद्ध मैं सज्ज ।
त्र से त्रिशूल , वह शक्ति ‘ अजस्र ‘ ।
ज्ञ से ज्ञानी , सब ज्ञान सिखाए ।
श्र से श्रमिक , पसीने की ही खाए ।
डी कुमार–अजस्र(दुर्गेश मेघवाल, बून्दी/राज.)