17 मई विश्व दूरसंचार दिवस के अवसर पर एक कविता

विश्व दूरसंचार दिवस १७ मई को मनाया जाता है। यह दिन 17 मई 1865 को अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ की स्थापना की स्मृति में विश्व दूरसंचार दिवस के रूप में जाना जाता था। वर्ष1973 में मैलेगा-टोर्रीमोलिनोन्स में एक सम्मेलन के दौरान इसे घोषित किया गया। इस दिन का मुख्य उद्देश्य इंटरनेट और नई प्रौद्योगिकियों द्वारा लाया गया सामाजिक परिवर्तनों की वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए है।

17 मई विश्व दूरसंचार दिवस[17 May - World Telecom Day]
17 मई विश्व दूरसंचार दिवस[17 May – World Telecom Day]

17 मई विश्व दूरसंचार दिवस के अवसर पर एक कविता

चहल-पहल है,मची उथल पुथल ।
आज कुछ और अलग कुछ कल।
सूचना प्रसारण में आज हलचल।
होती परिवर्तन देख लो प्रतिपल।
बदल रही है जिंदगी ,हो गई तेज रफ्तार ।
पल में देखो , बदल गई है सारा संसार ।।


संदेशा लें जाता कोई संवदिया।
फिर चली, दूरसंचार का पहिया।
कबूतरों ने खत को पहुँचाया ।
वही खत लेटर बाॅक्स में आया।
तब हो गई थी ,पाण्डुलिपि का आविष्कार ।
आजादी में भूमिका में थे, तब के अखबार ।

फिर विज्ञान ने, दी अपनी दस्तक
और तार से , झट संदेश पहुंचाया।
तार के बाद संदेश अब, बेतार हुआ
उपग्रह ने अंतरिक्ष में कदम जमाया।
मानव जीवन आबाद हुआ,सपने भी साकार।
जैसे -जैसे विकसित होने लगी दूरसंचार ।।


संगणक ने बदल के रख दी तस्वीर ।
तकनीकी चरम में गई,तोड़ के जंजीर ।
आज मोबाइल यंत्र है , सब के हाथ ।
आदमी कहीं जाये तो,जग रहता साथ ।
देश-विदेश के खबर से, जुड़ी है ई-अखबार ।
दुनिया पूरी देख सकें हम, टीवी में है संसार।

(रचयिता :- मनी भाई भौंरादादर बसना )