रात ढलती रही
रात ढलती रही रात ढलती रही, दिन निकलते रहे,उजली किरणों का अब भी इंतजार है।दर्द पलता रहा, दिल के कोने में कहीं ,लब पर ख़ामोशियों का इजहार है।जीवन का अर्थ इतना सरल तो नहीं,कि सूत्र से सवाल हल हो गया।एक कदम ही चले थे चुपके से हम,सारे शहर में कोलाहल हो गया।संवादों का अंतहीन सिलसिला,शब्द … Read more