छत्तीसगढ़ का वैभव -शशिकला कठोलिया

छत्तीसगढ़ का वैभव  कहलाता धान का कटोरा ,है प्रान्त वनाच्छादित ,महानदी ,इंद्रावती, हसदो, शिवनाथ करती सिंचित, छत्तीसगढ़ की गौरवशाली, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, जनजीवन पर दिखता, सामाजिकता व इंसानियत,हुए हैं छत्तीसगढ़ में,बड़े बड़े साहित्यकार,लोचन ,मुकुटधर ,माधव ,गजानन नारायण ,परमार ,प्राचीन काल से है यहां ,धार्मिक गतिविधियों का केंद्र सिरपुर ,डोंगरगढ़ शिवरीनारायण ,है आस्था का केंद्र रतनपुर ,बस्तर में है दर्शनीय स्थल … Read more

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जब भी सुनता हूँ नाम तेरा- निमाई प्रधान’क्षितिज

जब भी सुनता हूँ नाम तेरा तेरे आने की आहटें… बढ़ा देती हैं धड़कनें मेरी !मैं ठिठक-सा जाता हूँ-जब भी सुनता हूँ नाम तेरा!! तेरे इश्क़ के जादूओं का असर..यूँ रहामेरी रूह बाहर रही,मैं ही तो अंदर रहा ख़ुद से मिलने को अक्सर…मैं बहक-सा जाता हूँ-जब भी सुनता हूँ नाम तेरा!! मरु-थल में भी गुलों की बारिश तेरे … Read more

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निर्मल नीर के हाइकु

निर्मल नीर के हाइकु नूतन वर्ष~चारों तरफ़ छायाहर्ष ही हर्ष काम न दूजा~सबसे पहले होगायों की पूजा है अन्नकूट~कोई न रहे भूखाजाये न छूट भाई की दूज~पवित्र है ये रिश्ताइसको पूज दिवाली आई~घर-घर में देखोखुशियाँ छाई निर्मल ‘नीर’

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नई राह पर कविता- बांकेबिहारी बरबीगहीया

नई राह पर कविता धन को धर्म से अर्जित करनातुम परम आनंद को पाओगे।सुख, समृद्धि ,ऐश्वर्य मिलेगी तुम धर्म ध्वजा फहराओगे।जीवन खुशियों से भरा रहेगायश के भागी बन जाओगे ।अपने धन के शेष भाग कोदान- पुण्य कर देना तुम ।दीन दुखियों की सेवा करकेनिज जीवन धन्य कर लेना तुम। सत्य,धर्म,तप,त्याग तुम करनाहर सुख जीवन भर पाओगे … Read more

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कवयित्री विजिया गुप्ता समिधा -बस यही ख्वाहिश है मेरी

बस यही ख्वाहिश है मेरी इक कली की उम्र पाऊँ,फिर चमन में खिलखिलाऊँ,किसी भ्रमर का प्यार पाऊँ,तितलियों को भी लुभाऊँ,माली का भी हित निभाऊं,मुरझा कर फिर बिखर जाऊँ,याद बनकर याद आऊँ,बस यही ख्वाहिश है मेरी। इक शमा की उम्र पाऊँ,रोशन हो कुछ कर दिखाऊँ,परवाने को भी रिझाऊं,इबादत के भी काम आऊँ,हर बूँद को मोती बनाऊँ,रफ़्ता … Read more

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स्त्री की व्यथा – विजिया गुप्ता समिधा

स्त्री की व्यथा वह भी एक स्त्री थी।उसकी व्यथा,मुझे ,मेरे अंतर्मन को,चीरकर रख देती है।टुकड़े-टुकड़े हो बिखर जाती है,मेरे अंदर की नारी।जब महसूस करती है ,उसकी वेदना ।कितना कुछ सहा उसने,भिक्षा में मिले सामान की तरह,बांटी गयी।समझ नहीं पाती मेरे अंदर की स्त्री,कि यह,उसे उसकी तपस्या से मिला वरदान था।या, कुछ और…? इतना ही नहीं,चौपड़ के निकृष्टदाँव-पेच के … Read more

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मातर तिहार पर कविता-गोकुल राम साहू

            मातर तिहार पर कविता चलना दीदी चलना भईया,मातर तिहार ला मनाबोन।बड़े फजर ले सुत उठ के,देवी देवता ला जगाबोन।। हुँगूर धूप अगर जलाके,देवी देवता ला मनाबोन।रिक्छिन दाई कंदइल मड़ई संग,मातर भाँठा मा जुरियाबोन।। मोहरी बाजा अउ रऊत संग,नाचत गावत सब जाबोन।मखना कोचई अउ दार चउँर,घरो-घर मा जोहारबोन।। कारी लक्ष्मी … Read more

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गोवर्धन पूजा पर कविता-प्रवीण त्रिपाठी

गोवर्धन पूजा पर कविता नटवर नागर प्यारे कान्हा, गोवर्धन कर धरते हो।इंद्र देव का माधव मोहन, सर्व दर्प तुम हरते हो। ब्रज मंडल के सब नर-नारी, इंद्र पूजते सदियों से।लीलाधारी कृष्ण चन्द्र को, कभी न भाया अँखियों से।उनके कहने पर ब्रजवासी, लगे पूजने गोवर्धन।देवराज का दम्भ तोडने, लीलाएँ नव करते हो।1 गोवर्धन का अन्य पक्ष … Read more

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विनोद सिल्ला “कैसी दीवाली” दीवाली पर्व का अलग कविता

दीवाली पर्व का अलग कविता कैसी दीवाली किसकी दीवालीजेब भी खाली बैंक भी खाली हर तरफ हुआ है धूंआ-धूंआपर्यावरण भी दूषित है हुआ जीव-जन्तु और पशु-पखेरआतिशी दहशत में हुए ढेर कितनों के ही घर बार जलेनिकला दीवाला हाथ मले अस्थमा रोगी तड़प रहे हैंउन्मादी अमन हड़प रहे हैं नकली मावा, नकली पनीरखाई मिठाई हो कर … Read more

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मिल कर दिवाली को मनाएँ हम- प्रवीण त्रिपाठी

मिल कर दिवाली को मनाएँ हम चलो इस बार फिर मिल कर, दिवाली को मनाएँ हम।* *हमारा देश हो रोशन, दिये घर-घर जलाएँ हम।* *मिटायें सर्व तम जो भी, दिलों में है भरा कब से।* *करें उज्ज्वल विचारों को, खुरच कर कालिमा मन से।* *भरें नव तेल नव बाती, जगे उत्साह तन मन में।* *जतन … Read more

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