Month April 2021

बेख़याल – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस रचना में एक "विक्षिप्त व्यक्ति" को चरित्र के रूप में पेश किया गया है जिन्हें हम पागल कह मरने के लिए छोड़ देते हैं | उसके पागल होने की वजह शायद हम जानना नहीं चाहते |
बेख़याल - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

वक़्त बेवक्त जिन्दगी- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस रचना में जिन्दगी की भागमदौड़ को चित्रित किया गया है साथ ही जिन्दगी किस मोड़ पर आ खड़ी हुई है इसे भी इस रचना की विषयवस्तु बनाय गया है |
वक़्त बेवक्त जिन्दगी- कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

मुश्किल राहें प्यार की -आर्यन सिंह यादव

जब हिन्दी के जाने माने रचनाकार एवं टेलीविजन कलाकार आर्यन को किसी लड़की से एकतरफा प्यार हुआ मगर उस लड़की को मालूम नहीं था तब उन तक कविता के माध्यम से संदेश भेजने के लिए आर्यन सिंह कृष्णवंशी ने छोटी कविता लिखी-

बेखुदी की जिंदगी- मनीभाई नवरत्न

बेखुदी की जिंदगी… बेखुदी की जिंदगी हम जिया करते हैं। शायद इसलिए हम पिया करते हैं । रही सही उम्मीदें तुझ पर अब जाती रही।ना समझ बन गए हैं कोई सोच आती नहीं ।मिली तुझसे जख्मों को हम सीया करते…

मुझे तेरी हर बातें याद आते हैं- मनीभाई नवरत्न

मुझे तेरी हर बातें याद आते हैं मुझे तेरी हर बातें याद आते हैं।तुमसे हुए हर मुलाकातें सताते हैं ।क्यों उस दिन अनजान रहा ,तेरे चाहत का ना भान रहा ।अब जब पता है तू ही लापता है , कैसे…

हे दीन दयालु हे दीनानाथ- मनीभाई नवरत्न

हे दीन दयालु हे दीनानाथहे दीन दयालु, हे दीनानाथ !दीन की रक्षा करलें मांगे वरदान। हे कृपालु ,हे भोलेनाथ! हे कृपालु , हे भोलेनाथ!हीन की रक्षा कर ले मांगे वरदान । ऊंची चोटी पर तेरा वास है ।हर तरफ शांति,…

मैं इंसान हूं मेरे भी अरमान है- मनीभाई नवरत्न

मैं इंसान हूं मेरे भी अरमान है- मनीभाई नवरत्न मैं इंसान हूं मेरे भी अरमान है ।जैसे तेरी पहचान वैसे मेरी पहचान है। जो तू सोचता है वह मेरी सोच है ।जो तू खोजता है वह मेरी खोज है।इस बात…

यह कैसा लोकतंत्र – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार “अंजुम”

इस कविता में मानव के अनैतिक व्यवहार का वर्णन मिलता है जिसने उसे मानव से दानव की श्रेणी में ला खड़ा किया है |
यह कैसा लोकतंत्र - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार "अंजुम"