
मुंशी प्रेमचंद जी साहित्यकार थे ऐसे
महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद जी के प्रति 141 वीं जयंती (31 जुलाई )पर विशेष कविता
महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद जी के प्रति 141 वीं जयंती (31 जुलाई )पर विशेष कविता
कलम के सिपाही -मुंशी प्रेमचंद जी मेरे मूर्धन्य मुंशी प्रेमचंद जी थे बड़े ” कलम के सिपाही “अब…….”भूतो न भविष्यति”हे ! मेरे जन जन के हमराही ! उपन्यास सम्राट व कथाकारजनमानस के ये साहित्यकार,गरीब-गुरबों की पीड़ा लिखतेथे अन्नदाता के तुम…
मुंशी प्रेमचंद जी पर दोहे प्रेमचंद साहित्य में,एक बड़ी पहचान।कथाकार के नाम से,जानत सकल जहान।। उपन्यास लिखते गए,कफ़न और गोदान।प्रेमचंद होते गए,लेख क्षेत्र सुल्तान।। रही गरीबी बचपना,करते श्री संघर्ष।मिली एक दिन नौकरी,जीवन में उत्कर्ष।। गाँधी के सानिध्य में,प्रेम किए सहयोग।फौरन…
उपवास का महत्त्व
“उफ!ये सावन जब भी आता है” वो बचपन की मस्ती,वो तोतली बोली,वो बारिश का पानी,और बच्चों की टोली,वो पहिया चलाना और नाव बनाना,माँ का बुलाना और हमारा न आना,वो अनछुए पल याद दिलाता है “उफ!ये सावन जब भी आता है”।।।1।।…
11 जुलाई 1987 को जब विश्व की जनसंख्या पाँच अरव हो गई तो जनसंख्या के इस विस्फोट की स्थिति से बचने के लिए इस खतरे से विश्व को आगाह करने एवं बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने हेतु 11 जुलाई 1987…
राष्ट्रीय पशु बाघ के विषय में कविता।
ये आम अनपढ़ बावला है दुर्व्यवस्था देख,क्या लाचार सा रोना भला है।क्या नहीं अब शेष हँसने की रही कोई कला है। शोक है उस ज्ञान पर करता विमुख पुरुषार्थ से जो,भाग्य की भी भ्राँतियों ने,कर्म का गौरव छला है। आग…
प्रकृति का इंसाफ पर कविता कायनात में शक्ति परीक्षा,दिव्य अस्त्र-शस्त्र परमाणु बम से |सारी शक्तियां संज्ञा-शून्य हुई ,प्रकृति प्रदत विषाणु के भ्रम से |अटल, अविचल, जीवनदायिनी ,वसुधा का सीना चीर दिया |!दोहन किया युगो- युगो तक,प्रकृति को अक्षम्य पीर दिया…
बेटी पर कविता एक मासूम सी कली थीनाजों से जो पली थी आँखों में ख़्वाब थे औरमन में हसरतें थीं तितली की मानिन्द हर सुउड़ती वो फिर रही थी सपने बड़े थे उस केसच्चाई कुछ और ही थी अनजान अजनबी…