आज कल अवसाद से गुजर रहा हूं मैं
*ग़ज़ल* आज कल अवसाद से गुज़र रहा हूं मैं। बिना तेरे निबाह! कैसे उमर रहा हूं मैं। एक उम्र तक जिंदगी से गिला न रहा, जिंदगी के साये से अब डर रहा हूं मैं। तू था साथ,तो हसीन थे दिन…
*ग़ज़ल* आज कल अवसाद से गुज़र रहा हूं मैं। बिना तेरे निबाह! कैसे उमर रहा हूं मैं। एक उम्र तक जिंदगी से गिला न रहा, जिंदगी के साये से अब डर रहा हूं मैं। तू था साथ,तो हसीन थे दिन…
शिव महिमा कविता शिव शिवा शिव शिवा शिव शिवा ।शिव शव हैं……शिवा के सिवा। शिव अपूर्ण हैं शक्ति के बिनाशक्ति कब पूर्ण हैं शिव के बिनाअनुराग का सत इनका है वफ़ा। लोचन मोचन वि..मोचन सबल तुम होकांति चमक दामिनी सकल तुम…
आस टूट गई और दिल बिखर गया आस टूट गयी और दिल बिखर गया।शाख से गिरकर कोई लम्हा गुज़र गया। उसकी फरेबी मुस्कान देख कर लगा,दिल में जैसे कोई खंजर उतर गया। आईने में पथराया हुआ चेहरा देखा,वो इतना कांपा…
ग़ज़ल* •••••••••••••••••••••••••••••••••• आस टूट गयी और दिल बिखर गया। शाख से गिरकर कोई लम्हा गुज़र गया। उसकी फरेबी मुस्कान देख कर लगा, दिल में जैसे कोई खंजर उतर गया। आईने में पथराया हुआ चेहरा देखा, वो इतना कांपा फिर दिल…
राम नारायण हरि राम नारायण हरि, श्री कृष्ण नारायण हरिशिव नारायण हरि, गोविंद नारायण हरि मातृ नारायण हरि, श्री पितृ नारायण हरिकुल देव नारायण हरि, स्थान देव नारायण हरि श्याम नारायण हरि, श्री राधे नारायण हरिग्वालों के नारायण हरि, वृंदावन…
खुदा ने अता की जिन्दगी खुदा ने अता की जिन्दगी तुझेमुहब्बत के लिए क्यूं कर बैठा तू दूसरों से नफरतअपने अहम् के लिए खुदा ने अता की जिन्दगी तुझेएक अदद इंसानियत के लिए ऊंच – नीच के बवंडर में उलझ…
होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत…
द्वेष दम्भ भूलकर अपनाएँ भाईचारा । होगा खुशहाल तभी ये देश हमारा। विश्वास की गहरी नींव बनाकर, चलो कटुता मन की काटे। न बने किसी के दुख की वजह फूल खुशियों के बाँटें। हमारी संस्कृति यही सिखाती पूरा विश्व है…
यहाँ पर परीक्षा पर कविता (poem on exam in hindi) का संकलन किया है जहाँ पर कवि यह बताने की कोशिश की हैं कि इस जीवन में हर रोज परीक्षा होती है. हर रोज परीक्षा होती है जीवन है संघर्ष…
लाहौर सेंट्रल जेल 23 मार्च 1931 हुआ सवेरा एक नई बहार आई तूफान से मिलने देखो आंधी भी आई कैदियों को अजीब लगा जब चरत ने आकर उनसे कहा सभी को अपनी कोठरी में अभी के अभी जाना है ऊपर…