भँवरा
भँवरा मधु का अभिलाषी भँवराकरे मधुऋतु का इंतजारभर गई नव मुकुल गागरीचहुँ ओर चली है मंद बयार।पुष्प-पुष्प पर भ्रमर मंडराएगीत नव मिलन गुनगुनाएमकरंद भरी मंजरी हृदय परचिरंतन सुख मधुप को भाए।यौवन छा गया कुसुमों परमहकी कोंपल पुष्पों की डालीरसपान करे …

हिंदी कविता संग्रह

हिंदी कविता संग्रह
भँवरा मधु का अभिलाषी भँवराकरे मधुऋतु का इंतजारभर गई नव मुकुल गागरीचहुँ ओर चली है मंद बयार।पुष्प-पुष्प पर भ्रमर मंडराएगीत नव मिलन गुनगुनाएमकरंद भरी मंजरी हृदय परचिरंतन सुख मधुप को भाए।यौवन छा गया कुसुमों परमहकी कोंपल पुष्पों की डालीरसपान करे …
भावासक्ति जब तुमसे श्याम भजन होगा ।तब यह काया प्रिय धन होगा ।।रुप धन को गर्व हित सँभाला ।मन मदिरा पीकर मतवाला ।।रस रसना के वश रहता है ।पर तिय माता तन तकता है ।।निज तन में गंध गरजता है…
मेरी सोच तुम्हारी सोच से अलगमेरी सोचतुम्हारे विचारों से जुदामेरी भावनाएँतुम्हारे रक्त से भिन्नमेरे खून का रंगऔर ….तुम्हारे चेहरे के विपरितमेरी परछाई का कदइस विश्व के उस पार भीकोई दुनिया बसती हैइस ब्रह्माण्ड से दूरबहुत दूर ….जहाँ कोई मसीहा रहता…
बेटियाँ बेटियां प्रकृति की देन है,बेटियां देवदूत,देव कन्याएँ है,कोमल इनकी भावनाएँ है,बेटियां अप्सराएँ है,लक्ष्मी, सरस्वती, सावित्री है।बेटियां अन्नपूर्णा सी उपमाएँबेटियां वेदों सी पवित्र है,बेटियां संस्कारो की धरोहर है,बेटियां नव निर्माण की कल्पनाएँ ,बेटियां ईश्रवर का लेख है।बेटियां खिलती कलियां है,बेटियां…
समय पर कविता तेरे पाँवों की जंजीरों को,पाजेब बना दूँ !हथकड़ियाँ तोड़ हथेलियों में,मेहंदी रचा दूँ !नाजुक कलाइयों में रंगीन,चूड़ियाँ खनका दूँ!माथे की शिकन पर,झिलमिल बिंदिया सजा दूँ ! हे कर्मशील स्त्री आ तुझे,वनिता बना दूँ!न घबरा,भयभीत न हो,न भूल…
गिरिराज हिमालय भारत का हिमगिरि प्रहरी हैरजतमयी अनमोल ताज।युग- युग तक कृतज्ञ रहेगा,भरतखण्ड का महा राज।अहो भाग्य है इस भारत के,जहां हिमालय अडिग खडा।शीश उठाये गिरवर निर्भय,स्वाभिमामान से धीर लडा़।गंगा उद् गम गिरिवर से है,मूल दिव्य औषधियों का।इसके अंक…

दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवी, शक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं।शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं। दुर्गा को आदि शक्ति, परम भगवती परब्रह्म बताया गया…
दीपक की ख्वाहिश दीपक की ख्वाहिशमिट्टी से बना हूँ मैं तो,मिट्टी में मिल जाऊँगा।जब तक हूँ अस्तित्व में,रौशनी कर जाऊँगा ।।तमस छाया हर तरफ,सात्विकता बढ़ाऊंगा।विवेक को जगाकर मैं,रौशनी कर जाऊँगा ।।धैर्य की बाती लगाकर,विनय से तेल बनाऊंगा।सतत ज्ञान बढ़ाकर मैं,रौशनी…
अब तो खुलकर बोल* शर्मिलापन दूर भगाकर,घूँघट के पट खोल!बोल बावरी कलम कामिनी,अब तो खुल कर बोल!!जीवन की अल्हड़ता देखी,खुशियाँ थी अनमोल!दुख को देखा इन नैनों से,तर्क तराजू तोल!ऊंच नीच की गलियाँ देखी,अक्षर अक्षर बोल!बोल बावरी कलम कामिनी,अब तो खुलकर…
*ग़ज़ल* बहर- 2222 2222
काफिया- आन, रदीफ़- नहीं है