November 2023

आज का नेता पर कविता

आज का नेता पर कविता जहाँ बहरी सियासत है, जहाँ कानून है अंधा।करें किसपे भरोसा तब, जहाँ पे झूठ है धँधा।विचारों पे लगा पहरा,बड़ा ये ज़ख्म है गहरा,भला क्या देश का होगा,सियासी रंग है गन्दा।। मुनाफ़े का बड़ा धंधा, कभी…

जीवन का शाश्वत सत्य

जीवन का शाश्वत सत्य भोर की बेला हुई, दिनकर की पलकें खुली।इंतज़ार ख़त्म हुआ, सौगात लेकर आई नयी सुबह।।धीरे धीरे आँखे खोल रहा,स्वर्ण किरणें बिखेर रहा।नयी सुबह प्रारंभ हुई, रात्रि निशा विभोर हुई।। कल जो जा रहा पश्चिम में था,आज…

बैताली छंद के कविता

बैताली छंद के कविता      काम  क्रोध ,  लोभ  छोड़  दे ।राम   संग ,  प्रीत   जोड़   दे ।।एक   राम ,   सत्य   है   यहाँ ।हो   अचेत , सो  रहा   कहाँ ।। स्वार्थ   हेतु ,   प्रीत  को  रचे ।खो  प्रपंच , ग्यान   से  …

शीत ऋतु पर ताँका

शीत ऋतु पर ताँका {01}ऋतु हेमंत नहला गई ओसधरा का मनतन बदन गीलेहाड़ों में ठिठुरन । {02}लाए हेमंत दांतों में किटकिटहाड़ों में कंपसर्द सजी सुबह कोहरा भरी शाम । {03}हेमंत साथकिटकिटाए दाँत झुग्गी में रात ढूँढ रहे अलाव काँपते हुए हाथ । □ प्रदीप…

मन पर कविता

मन पर कविता सोचा कुछहो जाता कुछ हैमन के ही सब सोचमन को बांध सका न कोईमन खोजे सब कोय।।⭕हल्के मन से काम करो तोसफल रहे वो कामबाधा अगर कोई आ जायेबाधित हो हर काम।।⭕मन गिरे तन मुरझायेवैद्य काम नही…

तोता पर कविता

तोता पर कविता ना पंख है ना पिंजरे में कैद,फिर भी है तोता ।खाता है पीता है,रहता है स्वतंत्र,हमेशा एक गीत है गाता नेता जी की जय हो। कर लिया बसेराबगल की कुर्सी पर,खाने को जो है मिलतामुफ्त का भोजन,टूट…

हाइकु

अवि के हाइकु

अवि के हाइकु जीवन पथप्रेम और संघर्षदुलारा बेटा मनमोहनबलिहारि जाँऊ मैंतेरी मुस्कान मां हूँ मैंलड़ूंगी भूख से मैंये अग्निपथ समर्पित हैतुझ पे ये जीवनराज दुलारा ©अविअविनाश तिवारीजांजगीर चाम्पा Post Views: 112

संतोषी है मधुशाला

संतोषी है मधुशाला संतोषी अँगूर लता है,संतोषी साकी बाला।संतोषी  पीने  वाला हैसंतोषी है मधुशाला।बस्ती -बस्ती चौराहे पर,अपनी दुकान खोलने वाले। विज्ञापन  के राम  भरोसे,अपनी दुकान चलाने वाले।जंगल उपवन बाग बगीचे,संतोष  दिखाई  देता है।डगर अकेली सन्नाटे मे,भीड़ जुटाती मधुशाला। संतोष  समाई …

doha sangrah

द्रोपदी चीर प्रसंग पर दोहे/ पुष्पा शर्मा”कुसुम”

द्रोपदी चीर प्रसंग पर दोहे पासे फेंके कपट केशकुनि रहा हर्षायदाव द्रोपदी लग गईरहे पाण्डव शर्माय सभा मध्य में द्रोपदीकरती करुण पुकारचीर दुशासन खींचतानहीं बचावन हार भीष्म बली कुरुराज ने  साध लिया है मौनपांचों पति बोले नहींबचा सके अब कौन…

shri Krishna

श्रीकृष्ण पर दोहे

श्रीकृष्ण पर दोहे सुभग सलोने सांवरेनटवर दीन दयालनिरख मनोहर श्याम छविनैना हुए निहाल छवि मोहन की माधुरीनैना लीन्ह बसायजित देखों वो ही दिखेऔर ना कछु लखाय गावत गुण गोपाल केदही मथानी हाथब्रज जीवन निर्भय भयोश्याम तुम्हारे साथ पुष्पा शर्मा “कुसुम”…