तेरी खामोश निगाहें – अनिल कुमार गुप्ता ” अंजुम “

तेरी खामोश निगाहें – अनिल कुमार गुप्ता ” अंजुम “

कविता संग्रह
कविता संग्रह

तेरी खामोश निगाहें , करतीं हैं बयाँ

तुझे, मुझसे मुहब्बत हो गयी

तेरे चहरे का ये नूर, करता है बयाँ

तुझे, मुझसे मुहब्बत हो गयी

क्या मैं छू लूं तुझे, मेरी जाने – जां

तुझे, मुझसे मुहब्बत हो गयी

तेरी नजरे – करम पर, मैं हूँ फ़िदा

तुझे, मुझसे मुहब्बत हो गयी

चंद पल गुजार लूं , तेरी आगोश में

तुझे, मुझसे मुहब्बत हो गयी

एक बार मुस्कुरा के , देख जरा

मुझे तुमसे, मुहब्बत हो गयी

तेरी गलियों में फिरूं , मैं दीवानों सा

मुझे , तुझसे मुहब्बत हो गयी

मेरे आशियाँ को कर दे रोशन , मेरी जाने जां

मुझे , तुमसे मुहब्बत हो गयी

तेरी खामोश निगाहें , करतीं हैं बयाँ

तुझे, मुझसे मुहब्बत हो गयी

तेरे चहरे का ये नूर, करता है बयाँ

तुझे, मुझसे मुहब्बत हो गयी

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