वृक्ष की पुकार कविता -महदीप जंघेल

चंद पैसों के लिए वृक्ष का सौदा न करे। वृक्ष है, तो विश्व है। वृक्ष हमारी माँ के समान है, जो हमे जीवन प्रदान करके सब कुछ अर्पण करती है। अतः पेड़ लगाएं और पर्यावरण बचाएं🌻🌻

वृक्ष की पुकार - कविता, महदीप जंघेल

विश्व पर्यावरण दिवस पर वृक्ष की पुकार कविता -महदीप जंघेल

poem on trees
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मत काटो हमें,
संरक्षण दो।
सिर्फ पेड़ नही हम,
हैं हम जीवन का आधार
हमें भी जीने दो,
सुन लो, हमारी पुकार।।

बिन हमारे धरती सूनी,
सूना है संसार।
बिन हमारे धरती मां का,
कौन करे श्रृंगार?
हमें भी जीने दो,
सुन लो, हमारी पुकार।।

हमसे ही पाया है सब कुछ ,
बदले में किया तिरस्कार।
चंद रुपयों में तौल दिया,
न मिला प्रेम दुलार।
हमे भी जीने दो,
सुन लो ,हमारी पुकार।

बहे ,हमी से जीवन धारा,
सजे हमी से धरा श्रृंगार।
वृक्ष लगाकर, वृक्ष बचाकर,
विश्व पर करो उपकार।
हमे भी जीने दो,
सुन लो, हमारी पुकार।।

जब वृक्षहीन हो जाएगी धरणी,
तब तपेगा सारा संसार।
त्राहि माम ,त्राहि माम होगा विश्व में,
चहुँ ओर गूंजेगा चित्कार।
हमे भी जीने दो ,
सुन लो,हमारी पुकार।

विश्व बचाना हो अगर,
तो हो जाओ अब तैयार।
वृक्षारोपण करो धरा पर,
करो आदर और सत्कार।
हमे भी जीने दो।,
सुन लो, हमारी पुकार।।

सब कुछ किया अर्पण तुम पर,
जिंदगी का कराया दीदार।
मत काटो हमें,
संरक्षण दो ।
हैं हम जीवन का आधार,
हमे भी जीने दो,
सुन लो, हमारी पुकार।।

✍️रचनाकार- महदीप जंघेल
निवास- खमतराई
वि.खं – खैरागढ़
जिला -राजनांदगांव(छ. ग)

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