डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
“शिक्षक दिवस मनाने का यही उद्देश्य है कि कृतज्ञ राष्ट्र अपने शिक्षक राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन के प्रति अपनी असीम श्रद्धा अर्पित कर सके और इसी के साथ अपने समर्थ शिक्षक कुल के प्रति समाज अपना स्नेहिल सम्मान और छात्र कुल अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सके।
शिक्षक का ज्ञान
अशिक्षा रूपी अंधकार को करने दूर,
फूंँक दिए चहुँ दिशाओं में शिक्षा का सूर।
ज्ञान की दीपक से रोशन हुआ देखो सारा जहांँ,
अज्ञानता ने सोचा अब मैं जाऊंँ तो जाऊंँ कहांँ।
शिक्षा के प्रभाव से इंसान बना है महान।
है पवित्र-अनमोल दान,शिक्षक का ज्ञान।
शिक्षा से समाजिक कुरीतियों का करो दमन,
श्रेष्ठ शिक्षा से नहीं होता अधिकारों का हनन।
अब मिले शिक्षा सबको हर्षित है धरा-गगन,
शिक्षा का महिमा है अपार करो गहन-मनन।
मानव-उद्धार के लिए करो शिक्षा-दान,
है पवित्र-अनमोल दान,शिक्षक का ज्ञान।
5 सितम्बर को मनाओ शिक्षक दिवस – त्यौहार,
डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का है ये उपकार।
शिक्षक है मानव समाज-राष्ट्र का निर्माता,
गुरू शिष्य को राष्ट्र रक्षा के लिए पुकारता।
मै नित करूं शिक्षक का सहृदय गुणगान,
है पवित्र-अनमोल दान, शिक्षक का ज्ञान।
विद्यार्थी में न कोई गरीब है न कोई अमीर,
सभी को दें समान शिक्षा शिक्षक का ज़मीर।
मजबूर-लाचारों को देते हैं शिक्षक-शिक्षा,
शिष्य करें उचित- अनुचित पर समीक्षा।
एक आदर्श विद्यार्थी है शिक्षक की शान,
है पवित्र-अनमोल दान,शिक्षक का ज्ञान।
जीवन रूपी नाव का शिक्षक है खिवैया,
सच्चा ज्ञान से पार कराते हमारी नैय्या।
मुश्किल घड़ी में कर स्मरण गुरू का उपदेश,
मिलती है शांति और समाप्त होते द्वेष-क्लेश।
मैं लेखनी से नित करूं गुरू का बखान,
है पवित्र-अनमोल दान,शिक्षक का ज्ञान।
अशिक्षित मानव स्वयं का करता विनाश,
ज्ञान की अज्ञानता से नित रहता हताश।
कहता है अकिल शिक्षा का अलख जगाओ,
राष्ट्र – रक्षा के लिए अशिक्षा को दूर भगाओ।
शिक्षा ने लाया आविष्कारों का तूफान,
है पवित्र-अनमोल दान,शिक्षक का ज्ञान।
— अकिल खान रायगढ़ जिला – रायगढ़ (छ.ग.) पिन – 496440.
Very nice poem sir ji
गजब यार 1 नंबर
कैसे लिख लेता है भाई