गोकुल में कृष्ण जन्मोत्सव
जन्म उत्सव मोहन का, देखन देव महान।
भेष बदल यादव बनें ,यशोदा के मकान ।।
सब देवों की नारियाँ ,ले मन पावन प्रीत।
बनी रूप तज गोपियाँ ,गाती मंगल गीत।।
रमे मुरारी प्रेम में , बैठे शम्भु उदास।
चलो नाथ गोकुल चलें,कहीं सती आ पास।।
शम्भु मदारी बन गये , डमरू लेकर हाथ।
गोकुल नगरी चल पड़े ,गौरा जी के साथ।।
दासी बन गौरा सती , छोड़ी शिव का संग।
किये तमाशा व्दार शिव, खूब जमाये रंग।।
डमरू के आवाज सुन , रोवे कृष्ण मुरार।
भगा दिये शिवको सभी,डांट-डपट फटकार।।
बिना कृष्ण दर्शन किये ,लौटे शिव पछतात।
लखकर गौरा खुश हुई ,घुम रहीं मुस्कात।।
पुनः शम्भू जी बैठकर, मोहन का धर ध्यान।
हाथ लिये पतरा चले, बन ज्योतिषी महान।।
जाय महल में कृष्ण का,भविष्य कहें सुजान।
यशुमति मईया सुन सुन ,छोड़े मन्द मुस्कान ।।
कृष्णजन्म सुखमूल अति,है अनुपमअभिराम।
लख सुन अनुभव कर सदा ,कहता बाबूराम।।
बाबूराम सिंह कवि
बडका खुटहाँ,विजयीपुर