भाईचारा पर कविता
मैंने मना कर दिया
मैंने भाईचारा
निभाने से
मना कर दिया
थी उनकी मनसा
मैं उनको
भाई बनाऊं
वे मुझको चारा ।
-विनोद सिल्ला
मेरा कुसूर
मैं था कठघरे में
दागे सवाल
उठाई उंगली
लगाए आक्षेप
निकाली गलतियाँ
निकम्मों ने
मेरा कुसूर था कि
मैंने काम किया ।
-विनोद सिल्ला