शिक्षा ज्ञान का दीपक है कविता
सौभाग्यसे मिलाहै नरतन इसे सुफल बनाओ।
शिक्षा ज्ञान का दीपकहै सरस सदा अपनाओ।।
बिनविद्या नर पशु समहै कहती दुनियां सारी
छाया रहता जीवन है में चहुँदिश अँधियारी।
ज्ञान ध्यान भगवान बिना माया रहती है घेरे-
सबकुछ होता ज्ञान बिना मति जाति है मारी।
अतः ज्ञानालोक हेतु शिक्षा को सेतु बनाओ।
शिक्षा ज्ञान का दीपक है सरस सदा अपनाओ।।
शिक्षाका संसार अनूठा सुख-शान्ति जग देता।
तम गम हम मानव जीवनसे सचमुच हरलेता।
प्रगति पथ प्रशस्त कराके आगे सतत बढाता-
विद्या ज्ञान वैभव से नर जीवन को भर देता।
घर परिवार समाज देशको विद्यासे हीं सजाओ।
शिक्षा ज्ञानका दीपक है सरस सदा अपनाओ।।
शिक्षा हीं देनेवाला है सत्य शुचि का संगत।
बेटियाँ भी पढ-लिख विद्या में बने पारंगत।
समता एकता विश्वबंधुत्व कायम रहे हमेशा-
तभी निखर पायेगा भारत वर्ष का रंगत।
विश्वगुरु गरिमाआगेबढ़अक्षुण्ण सभी बनाओ।
शिक्षा ज्ञान का दीपक है सरस सदा अपनाओ।।
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बाबूराम सिंह कवि
बडका खुटहाँ, विजयीपुर
गोपालगंज (बिहार)841508
मो॰ नं॰ – 9572105032
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