राष्ट्र भाषा पर छंद- बाबूराम सिंह

राष्ट्र भाषा पर छंद

कविता संग्रह
कविता संग्रह

सुखद हिन्द महान बनाइए।
मधुर बोल सदैव अपनाइए।
प्रगति कारक भारत हो तभी।
सरस काम करें अपना सभी।

अजब ज्ञान भरें शुभदा लिए।
सहज भावभरोस भव्य किए।
गुण सभी इसमें जग आगरी।
लखअमोलक है लिपि नागरी।

महक मानवतामय है सिखो।
मन लगाकर जागउठी लिखो।
सँवर जाय तभी जग जानिये।
बढ़ उठे शुचि भारत मानिये।

जगत हिंद सु-बोल जगाइए।
सरलता शुभ है अपनाइए।
जगउठो सब भारत वासियों।
निकल छोड़ सभी उदासियों।

हक भव्य जब भारत पायेगा।
जगत में सुख मोहक लायेगा।
सकल विश्व गुरु जय भारती।
सरस भाव सदा कर आरती।

कविकला गुणभी सब बोलते।
रस नवों कविता बिच घोलते।
अभय ज्ञान अकूत सु-पाइये।
झट सभी निजध्यान लगाइये।

भरम भाव यहीं सब लायेगा।
रम सभी इसमें शुचि पायेगा।
चुकहुआ फिर तो सबजायेगा।
सजग बिना फिर पछतायेगा।

लगन से सब कोइ सँवारिये।
भरम भेद सभी कु-सुधारिये।
अलख भारत नेक जगाइये।
हिन्द जुबान अमल में लाइये।

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बाबूराम सिंह कवि,गोपालगंज,बिहार
मोबाइल नम्बर – 9472105032

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कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

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