भारत रत्न अटल जी जन्मदिन पर कविता – उपमेंद्र सक्सेना

भारत रत्न अटल जी जन्मदिन पर कविता

atal bihari bajpei
अटल बिहारी वाजपेयी

भारत के प्रधानमंत्री बनकर थे दुनिया में छाए
राजधर्म के अटल प्रणेता, अटल बिहारी जी कहलाए।
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सन् उन्निस सौ चौबीस में,पच्चीस दिसंबर का दिन आया
कृष्ण बिहारी जी के घर में, लिया जन्म सबका मन भाया
मूल निवास बटेश्वर में था, जुड़े ग्वालियर से वे इतने
लिख डालीं ऐसी कविताएँ, भाव-विभोर हुए थे कितने
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गए कानपुर पिता संग दोनों एल एल.बी. करके आए
राजधर्म के अटल प्रणेता, अटल बिहारी जी कहलाए।
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सन् उन्निस सौ सत्तावन में पहली बार हुए निर्वाचित
दिल्ली में संसद तक पैदल जाना उनको लगा न अनुचित
पैसे पास नहीं थे उनके, रिक्शे का दे कौन किराया
राज किया लोगों के मन पर, भेदभाव को यहाँ मिटाया
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मानवता के संरक्षक ने, मानव मूल्य सदा अपनाए
राजधर्म के अटल प्रणेता, अटल बिहारी जी कहलाए।
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तेरह दिन, फिर तेरह मास, और फिर पाँच साल की सत्ता
राजनीति की धुरी रहे वे, सचमुच सर्वश्रेष्ठ थे वक्ता
पत्रकार,साहित्यकार, संपादक थे वे सचमुच ऐसे
पूरा जीवन संघर्षों से तपा बने वे कुंदन जैसे
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‘भारत- रत्न’ बाजपेयी जी, की महिमा को कौन न गाए
राजधर्म के अटल प्रणेता, अटल बिहारी जी कहलाए।
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जोड़ा सत्ता से सेवा को, जनहित में सब किया समर्पित
कालजयी वे गीतकार थे, उन पर भारत- वासी गर्वित
जब वे बने विदेश मंत्री, कोई दुश्मन नजर न आया
थे संवेदनशील इसलिए, दीन- दु:खी को गले लगाया
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अद्भुत साहस का परिचय दे, मिटा दिए आतंकी साए
राजधर्म के अटल प्रणेता, अटल बिहारी जी कहलाए।
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रचनाकार -उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट

(सर्वाधिकार सुरक्षित)

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