राधा और श्याम की प्रेम कविता
तू मेरी राधा मैं तेरा श्याम हूं।
तुमसे प्रेम करके मैं बदनाम हूं।
तुझे देखें बिन ,मेरी जीवन की बांसुरी में सूर कहां?
तू है मेरे साथ तो सुंदर लगता है,यह सारा जहां।
बस तेरी ही धुन में रमे रहूं बस दिन रात तेरा नाम लूं।
तू मेरी राधा मैं तेरा श्याम हूं।
तुझसे प्रेम करके मैं बदनाम हूं।
तुझे याद करकर के सोता हूं।
तेरे लिए जीता, मैं मरता हूं।
तुझसे मिलने को हे राधा, तेरे सपनों में आ जाता हूं।
तू मेरी राधा मैं तेरा श्याम हूं।
तुझसे प्रेम करके मैं बदनाम हूं।
कहीं अब मन लगता नहीं है।
बस तेरे ही ख्यालों में डूबा रहता हूं।
तू मेरी राधा मैं तेरा श्याम हूं।
तुझसे प्रेम करके मैं बदनाम हूं।
तेरे नयनों के काजल माथे की बिंदिया।
उड़ा लेती है मेरी रातों की निंदिया।
तुझे पाने को मैं जनम,जनम से बेताब हूं।
तू मेरी राधा मैं तेरा श्याम हूं।
तुझसे प्रेम करके मैं बदनाम हूं।
जब तक तू न मिलेगी रूप बदलकर,
वेश बदलकर जग में आता रहुंगा।
हाथों में प्रेम की बंशी लेकर मधुर ,
मधुर राधा राधा धुन गाता रहुंगा।
स्वपन बोस बेगाना
9340433481