कल्पना शक्ति बनाम मन की अभिव्यक्ति!
भावावेश में आकर,
कल्पनाओं के देश में जाकर,
अक्सर बहक जाता हूं,
खुद को पंछी सा समझ कर,
उड़ता हूं, उन्मुक्त गगन में,
खुशी से, चहक जाता हूं!
यह मेरे, मन की, भड़ास है
या कि छिछोरा पागलपन,
क्या कुछ है, मुझे नहीं पता,
लगता है जैसे कि, कच्चा कोयला हूं,
जब तब, अंगार लगती है तो,
जलता है दिल और दहक जाता हूं!
सामाजिक पाखण्ड और वैभव का घमंड,
हृदय को मेरे, यूं तार तार कर देता है,
धनी गरीब का फासला, किसलिए भला?
मेरे भविष्य के सपनों को, बेज़ार कर देता है!
जाति बिरादरी की यह प्राचीन परम्परा,
कब तक सहेगी यह, रत्न प्रसविनी धरा?
निर्बल को बल मिले, सत्य को मिले अभिव्यक्ति
दूर दिगंत में विचर रही , हमारी कल्पना शक्ति!
पद्म मुख पंडा ग्राम महा पल्ली पोस्ट लोइंग
जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़ pin 496001

Kavita Bahar Publication
हिंदी कविता संग्रह

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